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शब्द संस्था की रचना गोष्ठी आयोजित


बेंगलूरु । बेंगलूरु के रचनाकारों की प्रसिद्ध साहित्य संस्था 'शब्द' की बीते रविवार को आयोजित मासिक रचना गोष्ठी में मुख्य अतिथि लखनऊ निवासी वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र प्रताप थे । उन्होंने अपने उद्गार में कहा कि बेंगलूरु में हिंदी कविता के ऐसे विविध रंग और बहुआयामी रूप से परिचित होना मेरे लिए सुखद ही नहीं, चकित करने वाला है। ‘शब्द’ के द्वारा दिए जा रहे पुरस्कारों के बारे में मैंने लखनऊ में सुना था। किंतु आज इस आयोजन में आपकी अनूठी पारस्परिकता देखकर ‘शब्द’ के प्रति मेरी उम्मीद बड़ी हो गयी है।

रचनागोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे गीतकार आनंद मोहन झा ने रचनाकारों की काव्य-प्रस्तुतियों को विषय, शैली तथा शिल्प की दृष्टि से सराहनीय बताया। उन्होंने परंपरा और नेगाचार से संबंधित अपने गीतों की सुमधुर प्रस्तुति से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत में गजलगो विद्या कृष्णा ने वंदना के स्वरचित मधुर छंद गाए। उन्होंने अपनी बारी आने पर कई गजलें तरन्नुम में सुनाईं। वरिष्ठ कवयित्री रचना उनियाल भी गोष्ठी में गजलें सुनाकर श्रोताओं पर अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहीं। कार्यक्रम के संचालक राजेन्द्र गुलेच्छा की तैयारी और संचालन-विधि की सभी ने प्रशंसा की।

प्रारंभ में ‘शब्द’ के अध्यक्ष श्रीनारायण समीर ने रचनाकारों का स्वागत करते हुए कविता की प्रासंगिकता की चर्चा की और ‘शब्द’ के भावी कार्यक्रमों एवं प्रयासों की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने गाँवों से पलायन तथा स्त्री के जीवन-संघर्ष पर लिखी अपनी एक कविता भी सुनाई। रचनागोष्ठी में वरिष्ठ कवि अनिल विभाकर, नलिनी पोपट, बिंदु रायसोनी, गीता चौबे गूँज तथा अनिल अत्रि ने श्रोताओं की मन:स्थिति के अनुरूप एक से बढ़कर एक कविताएं सुनाईं । नाटककार मथुरा कलौनी, कार्यक्रम संयोजक श्रीकांत शर्मा, पंडित राजगुरु, अशोक कुमार सूर्य, कृष्ण कुमार पारीक, रामरतन सिंह आदि की भिन्न मनोभावों वाली कविताएँ भी श्रोताओं द्वारा सराही गईं । विद्या कृष्णा द्वारा कवियों एवं श्रोताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापन से रचनागोष्ठी संपन्न हुई ।

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