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मध्यप्रदेश लेखक संघ इकाई गुना द्वारा संत रविदास जयंती पर कवि-गोष्ठी आयोजित


गुना। मध्यप्रदेश लेखक संघ इकाई गुना संत रविदास जयंती के उपलक्ष्य में कवि गोष्ठी का आयोजन स्थानीय पेंशनर्स पार्क में डा सतीश चतुर्वेदी शाकुन्तल की अध्यक्षता, पेंशनर्स संघ के अध्यक्ष घनश्याम श्रीवास्तव के मुख्य आतिथ्य एवं वीरेंद्र सिंह के विशिष्ट आतिथ्य में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती एवं संत रविदास के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। तत्पश्चात सरस्वती वंदना मौली शुक्ला ने प्रस्तुत की। संस्था के अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह सेंगर ने संत रविदास के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 'संत रविदास भारत के आध्यात्मिक आकाश में दैदीप्यमान मान नक्षत्र की तरह दिखाई देते हैं। वे भारतीय आध्यात्म में ध्रुव तारा की भांति हैं। स्वामी रामानंद से जो भक्ति की धारा प्रवाहित हुई वो संत रविदास से होकर मीराबाई तक पहुंची।' 


साहित्यकार एवं शिक्षाविद डा. सतीश चतुर्वेदी शाकुन्तल ने मन की शुद्धता प्रकट करते हुए कहा-'आचरण हो स्वच्छ,तो मैले वसन कुछ भी नहीं। शुद्ध मन के सामने पूजन -हवन कुछ भी नहीं ।।' कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पेंशनर्स संघ के अध्यक्ष घनश्याम श्रीवास्तव ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा -'संत रविदास के जीवन से आज हमें शिक्षा लेने की आवश्यकता है।' कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वीरेंद्र सिंह ने संत रविदास पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि -'संत रविदास ने सामाजिक समरसता और भक्ति का जो मार्ग बतलाया वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि उस समय था। इस अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी में वरिष्ठ कवि विष्णु 'साथी' ने अपनी बात यूं प्रकट की -'हरो अज्ञान तम मेरा, संत श्री रविदास जी.करो जीवन सफल मेरा संत श्री रविदास जी.' कवि प्रेम सिंह 'प्रेम' ने कहा -'जीत गई अगर हिंसा तो प्यार के पल का क्या होगा। संविधान से चलने वाले प्रश्नों के हल का क्या होगा। सोने वालों अब तो जागो सर तक पानी चढ़ आया है, यही हालात रहे तो फिर आने वाले कल का क्या होगा।' गीतकार सुनील शर्मा 'चीनी' ने अपनी बात कुछ यूं कही -'जब तक कोई मेरे आसपास रहा, मुझे भीड़ में होने का अहसास रहा। तन्हा होकर ख़ुद को पा लिया मैंने, सबके साथ तो रिश्तों का लिबास रहा।' गोष्ठी का संचालन करते हुए ओजकवि अनिरुद्ध सिंह सेंगर ने तीखे तेवरों के साथ यूं कहा -थककर थोड़ा बैठ गया था, पर जंग अभी हारा नहीं हूं।' कवि हरीश सोनी ने कहा 'रवि-सा प्रखर तेज था जिनका अति साधारण-सा था जीवन।' इस अवसर पर वीरेंद्र मुक्त, मौली शुक्ला ने भी रचना पाठ किया। अंत में आभार पेंशनर्स संघ के सचिव जिनेन्द्र जैन ने प्रकट किया। इस अवसर पर काफी संख्या में नगर के गणमान्यजन उपस्थित रहे जिनमें सर्वश्री जिनेन्द्र जैन, कैलाश नारायण बंसल, वीर सिंह भदौरिया, घासीराम अहिरवार, एम के गौतम, बाबूलाल जैन, श्याम श्रीवास्तव,प्रकाश सिंह चौपड़ा , हरिओम श्रीवास्तव, बसंत खरे आदि प्रमुख हैं।

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