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हिंदी सिर्फ भाषा नहीं हमारी अस्मिता का भी प्रश्न -घनश्याम मैथिल 'अमृत'


भोपाल । 'हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि हमारी अस्मिता का प्रश्न है, जिस राष्ट्र की भाषा नहीं रहेगी उस राष्ट्र की संस्कृति और पहचान नष्ट हो जाएगी।' यह उदगार वरिष्ठ साहित्यकार घनश्याम मैथिल अमृत ने बाबूलाल गौर स्नात्तकोत्तर शासकीय महाविद्यालय भेल, भोपाल में आयोजित 'विश्व हिंदी दिवस' पर आयोजित परिचर्चा 'हिंदी भाषा के वैश्विक पटल की और बढ़ते कदम' विषय पर अतिथि वक्ता के रूप में बोलते हुए व्यक्त किए।

इस अवसर पर कार्यक्रम के आरम्भ में महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना तथा अतिथियों माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम में स्वागत उदबोधन प्राचार्य डॉ. संजय जैन ने दिया। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार जैन ने कहा की तकनीकी के विस्तार के साथ हिंदी को गति मिली है, विश्व में हिंदी का परचम लहराने में तुलसी व कबीर का बड़ा योगदान है। इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा सम्पादित 'प्रवाह' हस्तलिखित बुलेटिन का लोकार्पण भी किया गया।आयोजन में सरस कवि गोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसमें डॉ. सुषमा जादौन, हिंदी विभाग प्रमुख, व्ही. के. श्रीवास्तव, ऋषि श्रृंगारी, महेश अग्रवाल, विनोद कुमार जैन एवं घनश्याम मैथिल अमृत ने अपनी सरस कविताओं से आयोजन को यादगार बना दिया, कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र छात्राएं और शिक्षक शिक्षिकायें उपस्थित थे, कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय की ओर से नमन ने आभार प्रकट किया।

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