भोपाल। 'एक अच्छा समीक्षक रचना और रचनाकार को पाठक के सम्मुख पूर्ण समग्रता के साथ प्रस्तुत करता है। अच्छे समीक्षक की सटीक चोट से रचना रचना में सुधार आता है।' यह उदगार हैं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उमेश कुमार सिंह के जो लघुकथा शोध केंद्र समिति भोपाल द्वारा आयोजित पुस्तक पख़वाड़े के पंचम दिवस के आयोजन की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
लघुकथा शोध केंद्र समिति भोपाल द्वारा आयोजित पुस्तक परिचर्चा के इस आयोजन में 'आचार्य जगदीश चंद्र रचनावली भाग -2 संपादक -डॉ. ऋचा शर्मा पर चर्चा करते हुए डॉ. मिथलेश अवस्थी ने कहा -अपने समय को उदात्त ढंग से रेखांकित करती है रचनावली यानि अपने समय का निष्पक्ष दस्तावेज है।'
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अर्जुन दास खत्री द्वारा लिखित कृति 'धर्म संस्कार समाज और राष्ट्र कृति पर चर्चा करते हुए साहित्यकार और समीक्षाक घनश्याम मैथिल 'अमृत' ने इस कृति को धर्म आध्यात्म दर्शन के साथ ही जीवन के विविध पहलुओं को विवेचन करनी वाली महत्वपूर्ण कृति निरुपित करते हुए युवाओं में समाज एवं राष्ट्र निर्माण का भाव जगाने के लिए ज़रूरी बताया।'
इस आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार जनकजा कांत शरण की लघुकथा कृति 'जीवन के रंग' पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ लघुकथाकार कांता रॉय ने कहा की -'इस कृति में मानवीय संवेदनाओं के विविध पहलुओं को गहराई से उकेरा गया है जिसमें रचनात्मक कलात्मक अभिव्यक्ति इन्हें प्रभावी बनाती है।'
इस कार्यक्रम में समीक्षित कृतियों के लेखकों ने भी अपने हृदय के उदगार व्यक्त किये, कार्यक्रम का सुन्दर एवं प्रभावी संचालन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रंजना शर्मा ने किया, पुस्तक चर्चा के इस आयोजन में देश के अनेक महत्वपूर्ण रचनाकार उपस्थित थे।
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