साहित्य मनुष्य को मनुष्य बनाता है - रघुनंदन शर्मा
भोपाल। "जिसमें मानवता नहीं है वह मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है । साहित्य मनुष्य को मनुष्य बनाता है । आज लोग साहित्य से विमुख होते जा रहे हैं इसलिये विश्व में मानवता भी समाप्त होती जा रही है ।" यह बात पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने मध्यप्रदेश लेखक संघ के साहित्यकार सम्मेल़न एवं सम्मान समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कही।
ए.आई. से मानव बुद्धि को कोई खतरा नहीं - संतोष चौबे
मानस भवन में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि श्री संतोष चौबे ने कहा कि आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात ए.आई. को मानव बुद्धि के लिये चुनौती बन गयी है किन्तु मुझे लगता है कि मानव बुद्धि को इससे कोई खतरा नहीं है।
साहित्य केवल मनोरंजन के लिये नहीं होना चाहिए -डाॅ. उमाशंकर पचौरी
समारोह के सारस्वत अतिथि डाॅ. उमाशंकर पचौरी ने कहा कि साहित्य केवल मनोरंजन के लिये नहीं होना चाहिए वरन उसमें समाज के लिये कुछ उपदेश भी होना चाहिये। सम्मानमूर्तियों की ओर से स्वीकृति वक्तव्य देते हुए डाॅ. मोहन गुप्त ने कहा कि साहित्य असमय का सहायक है । इसलिये साहित्यकारों के योगदान को रेखांकित करने से उनका मनोबल बढ़ता है। इसी क्रम में डाॅ. श्रीराम परिहार ने कहा कि शब्द की साधना मनुष्य के भीतर के अंधकार में प्रकाश करने के समान है। इस दिशा में लेखक संघ जैसी संस्थाओं का योगदान महत्वपूर्ण है।
सम्मानित हुए साहित्यकार
इससे पूर्व अतिथियों द्वारा आयोजन में उपस्थित डाॅ. श्रीराम परिहार, डाॅ. मोहन गुप्त, श्री प्रकाश मिश्र, श्री यतीन्द्र नाथ राही, श्री विश्वनाथ शर्मा विमल, श्री यदुकुल नंदन खरे, डाॅ. स्वाति तिवारी, चौधरी मदन मोहन समर, श्री दिलीप कर्पे, श्री अशोक व्यास, श्री मुकेश जोशी, श्री संदीप सृजन, श्री पूरन चन्द्र शर्मा, डाॅ. प्रभु शंकर शुक्ल, डाॅ. लक्ष्मी नारायण पाण्डेय, श्रीमती कान्ति शुक्ला, श्री सुभाष पाठक ज़िया, श्रीमती पूजा कृष्णा, डाॅ. श्वेता नागर, श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी, डाॅ. प्रेमलता नीलम, डाॅ. मुक्ता सिकरवार, डाॅ. गिरीश दुबे 'बेधड़क', श्री धर्मदेव सिंह, श्री विनोद नागर, श्री श्याम चतुर्वेदी एवं श्री सुधीर गुप्ता को शाल श्रीफल, प्रशस्ति पत्र तथा स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया ।इस अवसर पर एक स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया।
समारोह का प्रारंभ वन्दे मातरम् गान तथा सरस्वती वंदना से हुआ जिसे मधुर शर्मा एवं साथियों ने प्रस्तुत किया।
स्वागत उद्बोधन श्री राजेन्द्र गट्टानी ने तथा आभार प्रदर्शन ऋषि श्रंगारी ने किया। मनीष श्रीवास्तव बादल ने संघ की गतिविधियों का विवरण दिया तथा डाॅ. प्रार्थना पंडित ने सम्मानित साहित्यकारों का परिचय दिया। राष्ट्रगान कर साथ समापन हुआ।
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