भारत जमीन का एक टुकड़ा नहीं जीता जागता राष्ट्र पुरुष है l हिमालय इसका मस्तिष्क है l गौरीशंकर शिखा है l कश्मीर किरीट, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं l विंध्याचल कटी है , नर्मदा करधनी है l पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल झंगाए हैं l कन्याकुमारी इसके चरण है ,सागर इसके पग पखार्ता है l पावस के काले कुंतल केश है l चांद और सूरज इसकी आरती उतरता है l यह वंदन की भूमि है ,अभिनंदन की भूमि हैl इसका कंकड़ कंकड़ शंकर है , इसका बिंदु बिंदु गंगा जल l हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए l ऐसे राष्ट्र प्रेम को अपने भावों की अभिव्यक्ति द्वारा अभिव्यक्त करने वाले कवि एवं काव्य धारा के मनीषी , भारत रत्न , पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के बटेश्वर गांव के माध्यम परिवार पिता कृष्ण बिहारी माता कृष्णा वाजपेई के परिवार में हुआ l पिता हिंदी ,ब्रजभाषा के कवि थे lसात भाई बहनों का परिवार साहित्य के वातावरण से औतप्रोत था l राष्ट्रभक्ति की ऐसी ललक कक्षा दसवीं में झलक पड़ी l कक्षा 10 में स्पष्ट हुआ था कि -उनका तन मन हिंदू है ,जीवन हिंदू है और रस रंग हिंदू मेरा परिचय है l इससे ज्ञात होता है की बचपन से देशभक्ति के भाव उनके रग रग में भरे हुए थे l वे भारत मां के आराधक एवं शब्दों के साधक थे l
संपादन के क्षेत्र में अटल जी ने राष्ट्रीय धर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन पांचजन्य आदि पत्रिकाओं का कुशल संपादन किया l उनकी प्रखर बुद्धि के कारण ही छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सदस्य रहे l उन्होंने ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद कानून की पढ़ाई ज्वाइन की , जिसे बीच में ही छोड़ दिया गया l डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आग्रह पर उन्होंने भारतीय जन संघ पार्टी ज्वाइन की l जिसका गठन 1950 में हुआ l यहीं से डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ पढ़ा l पहली बार 6 अप्रैल 1980 में भारतीय जनता भारतीय जन संघ के सदस्यों ने भारतीय जनता पार्टी का गठन किया और नया दल बनाया l
श्री अटल जी ने चार दशकों तक सक्रिय भारतीय संसद के सदस्य रहे जिसमें नौ बार लोकसभा सांसद तथा दो बार राज्यसभा सांसद चुने गए l विलक्षण व्यक्तित्व वॉक शैली से सदन में अपनी कविताओं के माध्यम से अपने पक्ष को उजागर कर पक्ष एवं विपक्ष का दिल जीत लिया करते थे l उनका संघर्षमय जीवन , परिवर्तनशील परिस्थितिया , राष्ट्रव्यापी आंदोलन , जेल का जीवन आदि अनेक आयाम के प्रभाव एवं अनुभूति को सदैव काव्य में उकेरना उनका जुनून था l श्रीमान अटल जी आजीवन अविवाहित रहे तथा अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में प्रारंभ करने वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले प्रधानमंत्री रहे l जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूर्ण किए l इस अवधि में देश की प्रगति के अनेक आयाम छुए l गरीबों किसानों और युवाओं के लिए अनेक योजनाएं लागू की गई l अटल जी सांसद के गौरव थे तो ग्रामीणों की आत्मा की आवाज भी थे l
अपने कार्यकाल में 11 मई और 13 मई 1998 में राजस्थान के पोकरण में द्वितीय परमाणु परीक्षण करवा कर अमेरिका जैसे राष्ट्र को अचंभित कर दिया l परमाणु शक्ति संपन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित नहीं हुए l उन्होंने अग्नि दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिए साहसिक कदम भी उठाया तथा भारत को विश्व के मानचित्र पर एक सुदृढ़ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया l इनके कारण पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए लेकिन वाजपेई सरकार ने दृढ़ता पूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊंचाइयों को छुआ l अटल जी ने 100 वर्षों से उलझे हुए कावेरी जल विवाद को सुलझाया तथा संरचनात्मक ढांचे के लिए कार्य दल , सॉफ्टवेयर विकास के लिए सूचना एवं तकनीकी प्रौद्योगिकी , विद्युतीकरण , राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण , सड़कों को जोड़ने की स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना जो दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई को राजमार्गों से जोड़ा गया l हवाई अड्डे ,नई तकनीकी नीति , संचार क्रांति तथा कोंकण रेलवे की शुरुआत कर संरचनात्मक ढांचे को मजबूत कर नया इतिहास बनाया l नई-नई समितियां गठित कर व्यापार एवं उद्योग को बढ़ावा दिया l उड़ीसा के सर्वाधिक निर्धन क्षेत्र के लिए सात सूत्री निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम लागू किया l अर्बन सीलिंग एक्ट को समाप्त किया l ग्रामीण रोजगार सृजन के भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का नारा जो जय जवान जय किसान था उसके साथ साथ जय विज्ञान जोड़कर विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास कर राजनीतिक श्रेष्ठ का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया l
पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए 19 फरवरी 1999 को सदा - ए- सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू करी जिसमें प्रथम यात्री के रूप में यात्रा की l इतना ही नहीं यह ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया l
अटल जी में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की संकल्प शक्ति भगवान श्री कृष्ण की राजनीतिक कुशलता और आचार्य चाणक्य की निश्चयात्मक बुद्धि थी l उनका व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार था l उनके विपक्ष के साथ हमेशा अच्छे संबंध रहे l जहां 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में विजय श्री के बाद भारत की सेना शक्ति के सामने आत्म समर्पण कराने वाली देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को अटल जी ने संसद में दुर्गा की उपमा से सम्मानित किया l वहीं 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने पर अटल जी ने खुलकर विरोध किया l भारत के दसवे प्रधानमंत्री अटल जी भारत के तीन बार प्रधानमंत्री बने l देश-विदेश में अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से सम्मानित अटल जी को 1992 में पद्मभूषण पुरस्कार , 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय से डिलीट , 2015 में फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वॉर अवार्ड (बांग्लादेश सरकार द्वारा ) प्रदान किया l भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न को उनके घर पर जाकर उन्हें सम्मानित किया l
भाषण शैली में अटल जी विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी थे l ओजस्वी एवं पटुवक्ता अपनी नपी तुली बेबाक टिप्पणी के लिए पहचाने जाते थे l उनकी सभाओं में भाषण सुनने के लिए दूर-दूर से लोग सुनने के लिए आते थे और अपार भीड़ जुटा लेते थे l उनके लिए कुछ विशेष वक्तव्य - मनुष्य को चाहिए कि वह परिस्थितियों से लड़ाई लड़े , एक स्वप्न टूटे तो दूसरा घड़े , मन हार कर मैदान नहीं जीते जाते , मैदान में जीतने से मन जीते जाते हैं और मन को दिल से जीते जाते हैं l अपना देश एक मंदिर है , हम पुजारी हैं l राष्ट्र देव की पूजा में हमें अपने आप को समर्पित कर देना चाहिए l यह विचार उच्च राष्ट्रभक्ति का अनुपम संदेश है l
उनका व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार था l उनका मानना था कि निरक्षरता और निर्धनता का गहरा संबंध है l शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है l व्यक्ति के विकास के लिए शिक्षा का स्वरूप आदर्श से युक्त होना चाहिए l हमारी माटी में आदर्श की कमी नहीं है l शिक्षा द्वारा ही हम नवयुवकों में राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत कर सकते हैं l शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए l उनकी कल्पना थी कि- मैं ऐसा भारत चाहता हूं जो भूख , भय, निरक्षरता और अभाव मुक्त हो l उनका मानना था कि भुखमरी ईश्वर का विधान नहीं मानवीय व्यवस्था की असफलता का परिणाम है l गरीबी निवारण के लिए उन्होंने अपने शासनकाल में कई योजनाएं लागू कर गरीबों को लाभान्वित किया l
श्रीमान अटल जी ने कहा था कि हम देश के क्रांतिकारियों को भूल रहे हैं आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण हम क्रांतिकारियों के साथ न्याय नहीं कर पाए l मेरी कविता जंग का ऐलान है , पराजय की प्रस्तावना नहीं l वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य निनाद नहीं झुन्झते योद्धा का जय संकल्प है , निराशा का स्वर नहीं ,आत्मविश्वास का जय जय घोष है l ऐसे भाव देश के क्रांतिकारियों के प्रति रहे हैं l यह देश प्रेम की अभिव्यक्ति व्यक्त करती है l महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के समर्थन में अटल जी ने सभी राष्ट्रों के बीच दूरदर्शी , विकसित , मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे l वे एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते थे जो विश्व के प्रति उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्श के प्रति प्रतिबद्धता को महत्व देते थे l
अटल जी शब्द नहीं , केवल नाम नहीं , वे बहुत विषयों के शोधित ग्रंथ थे , वे शानदार डिप्लोमेट रहे l यह शालीनता और विनम्रता के वरद पुंज थे l देश का अभिमान थे l वे कल कल बहने वाली सरिता थे , तो विंध्याचल के अटूट पहाड़ भी थे l अटल जी के असाधारण व्यक्तित्व , ओजस्वी भाषणों से प्रभावित होकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि आने वाले दिनों में यह व्यक्ति जरूर प्रधानमंत्री बनेगा l आगे चलकर नेहरू जी की भविष्यवाणी सही साबित हुई l ऐसे भारतीय राजनीति के युगपुरुष , श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ , कोमल हृदय , संवेदनशील मनुष्य ब्रजबlहु राष्ट्र प्रहरी , भारत माता के सच्चे सपूत अजातशत्रु भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई को में नमन वंदन करता हूं l उनके जन्म दिवस पर शत-शत बधाई देता हूं l उनके जन्मदिवस के साथ आज ही के दिन मेरा (स्वयं लेखक )भी जन्म दिवस होने से मैं भी अपने आप को धन्य समझता हूं कि उनकी प्रेरणा पा कर मैं भी उनकी राह का रही बन सकू l यह दिन हमारे देश के सभी देशवासियों के लिए अत्यंत गौरवशाली दिन है l
पदमचंद गांधी, भोपाल
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