प्रख्यात पत्रकार और साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र जोशी का बासठ वर्ष की आयु में असामयिक निधन 10 नवम्बर 2024 को उज्जैन में ब्रेन हेमरेज से हो गया। देवेन्द्र जी के देवलोकगमन का समाचार मिला तो सहसा किसी को विश्वास नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है। उज्जैन को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले देवेन्द्र जी का निधन नगर की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत की अपूरणीय क्षति है क्योंकि अवंतिका के सांस्कृतिक वैभव को अपनी लेखनी से देश ,विदेश में फैलाने वाले वे सच्चे लेखक थे। अपनी कई पुस्तकों में देवेन्द्र जी ने उज्जयिनी के अतीत, इतिहास और धार्मिक संस्कृति को प्रमुखता से स्थान दिया। ओजस्वी कवि, प्रखर वक्ता, सम्पादक, शोधकर्ता के साथ साथ देवेन्द्र जी एक लोकप्रिय शिक्षक भी थे। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र जोशी जी विगत पैंतालीस वर्षों से लगातार लेखन कर रहे थे। सिंहस्थ पर उनकी एक महत्वपूर्ण पुस्तक आई ‘उज्जयनी का सांस्कृतिक वैभव और सिंहस्थ 2016' जिसमें सिंहस्थ और उज्जैन को लेकर महत्वपूर्ण शोध हैं। आपकी पैंतीस से अधिक पुस्तकें विभिन्न विषयों पर प्रकाशित हैं। वर्ष 2020 में एक वर्ष में देवेन्द्र जी की बारह पुस्तकों का प्रकाशन उनकी रचनात्मकता की मिसाल रही। आप मध्यप्रदेश लेखक संघ उज्जैन के सचिव थे। दैनिक उज्जैन सांदीपनी के आप प्रधान सम्पादक थे। उज्जैन में रहकर आप कई महत्वपूर्ण समाचार पत्रों से जुड़े रहे और एक लंबा अनुभव आपको पत्रकारिता का रहा है। जयभारती महाविद्यालय के आप वर्तमान में प्राचार्य थे।
डॉ. देवेन्द्र जोशी ने अपनी लेखन यात्रा एक पत्रकार के रूप में वर्ष 1979 में समाचार पत्र दैनिक ब्रिगेडियर से की थी और नगर के सांस्कृतिक आयोजनों की रिपोर्ताज कर चर्चित हुए। डॉ. देवेन्द्र जोशी जी ने साहित्य की लगभग हर विधा में पुस्तकें लिखीं। आपके कविता संग्रहों में – कड़वा सच, आखिर क्यों, रंग रंगीलो मालवो, अंतस का उजाला सम्मिलित हैं। आपके ललित निबंध संग्रह में सदी के सितारे, तन रागी मन बैरागी, अयोध्या में राम की वापसी, बदलता परिदृश्य प्रकाशित हैं। आपके शोध ग्रंथों में साक्षरता एक जरुरत, राष्ट्रमाता कस्तूरबा, देवगुरु ब्रहस्पति, आजाद के अनछुए पहलु सम्मिलित है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की मन की बात पर आधारित ग्रन्थ जन गण मन की बात, में आपके आलेख संकलित हैं जो प्रधानमंत्री जी की मन की बात के विभिन्न संस्करण पर हैं। आप एक श्रेष्ठ व्यंग्यकार भी रहे और आपका एक व्यंग्य संग्रह लोकतंत्र मेरे बाप की बपौती सामने आया, मालवा माटी के सपूतों पर, उज्जैन की पत्रकारिता पर और उज्जैन के सिंहस्थ और उज्जैन की महिमा पर सांस्कृतिक ग्रंथों और पुस्तकों का प्रकाशन किया। आजादी की 75 वीं वर्षगाठ पर हिन्दी सिनेमा पर आपकी पुस्तक सिनेमा की देश भक्ति आई तो सदी के महानायक अमिताभ पर ‘बेमिसाल पचास साल' पुस्तक लिख डाली। आजादी के लड़ाकों पर आपने लिखा तो राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल को भी अपनी लेखनी से याद किया। रेडियो रूपक, यात्रा वृतान्त, यात्रा वर्णन और रिपोर्ताज लेखन में हाल में ही आपकी पुस्तक ‘यात्रा संस्मरण' प्रकाशित हुई थी और सबसे बड़ी बात यह है कि इस पुस्तक को विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट आगरा द्वारा वर्ष की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के लिए चयन किया गया । आपके पांच हजार से अधिक आलेख विभिन्न विषयों पर विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए। आप एक कुशल संचालक कई महत्वपूर्ण साहित्यिक आयोजनों के संयोजक और सूत्रधार रहे।
एक पत्रकार के रूप में आपने छतरपुर, शिवपुरी, मांडू, नासिक, भिंड, मुरेना आदि की यात्राएँ की और आपने इन सब पर लिखा है। महत्वपूर्ण यह है कि तब जनसंपर्क विभाग और कलेक्टर मिलकर पत्रकारों के लिए ऐसी यात्राएँ संयोजित करते थे और जहाँ जहाँ पत्रकार जाते थे उनकी सुख सुविधाओं का ध्यान रखते थे और कई स्थान पर स्वयं कलेक्टर पत्रकारों से मिलने आते थे और उनका ख्याल रखते थे। पत्रकारिकता के उस स्वर्णिम दौर में पत्रकारों का कितना मान था। वर्ष 1992 से आपने अपने संपादन में दैनिक उज्जैन सांदीपनी का प्रकाशन आरम्भ किया जो अब तक जारी है। आपको अखिल भारतीय लोकभाषा कवि सम्मान, आंचलिक पत्रकार सम्मान, नटवरलाल स्नेही साहित्य सम्मान, मध्यप्रदेश लेखक संघ का प्रतिष्ठित सम्मान सहित कई सम्मान प्राप्त हुए। आकाशवाणी और दूरदर्शन से आपकी रचनाएं प्रसारित होती रहीं। मालवी बोली और भाषा के उन्नयन और संवर्धन के लिए डॉ. देवेन्द्र जोशी ने मालवी में पुस्तकें लिखीं और मालवी कवि सम्मलेन और कविता के लिए आन्दोलन चलाये। आजादी के बाद के नगर के भूले बिसरे आयोजनों , साहित्यकारों, पत्रकारों और परम्पराओं की उन्हें बहुत जानकारी थी और इन पर वे यदा कदा लिखते रहते थे। डॉ. देवेन्द्र जोशी की पत्रकारिता मानव मूल्यों की जमीनी पत्रकारिता थी और दबंग पत्रकारिता की वे मिसाल थे।
शब्द प्रवाह परिवार मालवा भूमि के कर्मठ पत्रकार और साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र जोशी जी को विनम्र नमन करता है और श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
-डॉ. हरीशकुमार सिंह
(लेखक - शब्द प्रवाह के मार्गदर्शक एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार है)
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