कोटा। देश के जाने-माने साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही की राजस्थानी नवगीत कृति "कुरजां राणी छंद रचै " का भव्य लोकार्पण 31 वें गौरीशंकर कमलेश स्मृति राजस्थानी भाषा पुरस्कार एवं सम्मान समारोह 2024 के आयोजन में ज्ञान भारती संस्था कोटा के सौजन्य से ज्ञान भारती स्कूल में किया गया।
कृति पर बोलते हुए विशिष्ट अतिथि जयसिंह आशावत ने राष्ट्रीय स्तर के मंचों की शोभा रहे वरिष्ठ गीतकार जितेन्द्र निर्मोही अपनी उम्र के इस पड़ाव पर आते आते बहुमुखी हो जाते हैं। उनके नवगीतों में श्रंगार की रवानी भी है, सामाजिक विद्रुपताएं भी,समाजिक वैषम्य भी लेकिन वो इन सबका निदान निकालते नजर आते हैं। उनके गीतों के छंदों से सूक्तियां भी निकाली जा सकती है और उक्तियां भी, उन्होंने नई पीढ़ी का समय पर मार्गदर्शन किया है तो इस कृति में आदिकाल से लेकर आज तक के कुछ विशिष्ट राजस्थानी कवियों को उनके कृतित्व के साथ याद किया है। उनका काव्य कौशल अद्भुत है।
कृति में प्रोफेसर राधेश्याम मेहर उनकी लम्बी काव्य यात्रा पर प्रकाश डालते हुए नजर आते हैं तो डा गजे सिंह राजपुरोहित इस कृति को को काव्य का सतरंगी प्रवाह बताते हैं। समारोह के पुरस्कृत साहित्यकार डॉ गजादान चारण शक्तिसुत डीडवाना ने कहा संसार की सारी सम्पादाएं नश्वर है कवि की वाणी अजर अमर है। मुख्य अतिथि हनुमानगढ़ से आये वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने कहा कि निर्मोही जी का समन्वय कौशल अद्भुत है वो पुरानी पीढ़ी को अनूठे ढंग से अनूठे अंदाज से प्रस्तुत करते हैं तो नई पीढ़ी को मार्गदर्शन करते हुए दिखाई देते है। वो इन दिनों बाल साहित्य पर जो कार्य करवा रहे हैं वो दस्तावेज जैसा है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे विश्वामित्र दाधीच ने कहा कवि जब जनमानस और लोक मान्यताओं के साथ जाना जाता है वो कभी भुलाया नहीं जा सकता। समारोह का संचालन नहुष व्यास ने किया। स्वागत उद्बोधन सुरेन्द्र शर्मा एडवोकेट सचिव ज्ञान भारती संस्था कोटा ने दिया। सरस्वती वंदना दुर्गा शंकर बैरागी द्वारा पढी गई। सभागार में ज्ञान भारती परिवार, न्यूज़ चैनल संवाददाता, पत्रकार सुकवि मुकुट मणिराज, बाबू बंजारा मुरली धर गौड़, राजेंद्र पंवार, रामेश्वर शर्मा, भगवती प्रसाद गौतम, डॉ युगल सिंह, श्यामा शर्मा, रेखा पंचोली, मंजू रश्मि, श्वेता शर्मा, सुमन शर्मा, बद्री लाल दिव्य, जेपी मधुकर, हेमराज सिंह हेम, नंदू राजस्थानी, दिलीप सिंह हरप्रीत आदि साहित्यकार मौजूद थे।
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