कालिदास अकादमी में हुआ 'श्रद्धार्पण' का आयोजन
उज्जैन । डॉ. प्रभात कुमार भट्टाचार्य ने अपना पूरा जीवन शिक्षा,रंगकर्म और साहित्य की सेवा में अर्पित कर दिया। उनकी जन्मभूमि इलाहबाद थी और शिक्षाभूमि, सागर पर कर्मभूमि के रूप में उन्होंने उज्जैन चुना। विक्रम विवि में प्रौढ़ शिक्षा सतत अध्ययन शाला उनकी विशेष देन है। कालिदास अकादमी निदेशक के रूप में उन्होंने रंगकर्म और कालिदास समारोह के लिए नए प्रयोग किए। उनका अवसान एक युग का अवसान है।
ये विचार कालिदास अकादमी के अभिरंग नाट्य गृह में आयोजित कार्यक्रम ' श्रद्धार्पण ' में डा. प्रभात कुमार भट्टाचार्य को श्रद्धांजलि देते हुए नगर के साहित्यकारों और रंगकर्मियों ने व्यक्त किए। पूर्व कुलपति डा. रामराजेश मिश्र, कालिदास अकादमी निदेशक डा.गोविंद गंधे,डा. शिव चौरसिया, डा.श्रीकृष्ण जोशी, डा. अरुण वर्मा, श्री राम दवे, उमाशंकर भट्ट , डा.शैलेंद्र पाराशर, डा. प्रकाश रघुवंशी,प्रकाश चित्तौड़ा, शरद शर्मा,गिरिजेश व्यास,सतीश दवे, सुंदरलाल मालवीय, डॉ. हरीशकुमार सिंह,अजय मेहता आदि ने डा. भट्टाचार्य से जुडे संस्मरण साझा करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। अध्यक्षता संस्कृत अध्ययनशाला के पूर्व अध्यक्ष डा. केदार नारायण जोशी ने की।अंत में दो मिनिट का मौन रखा गया। संचालन डा. पिलकेन्द्र अरोरा ने किया।
सभा में डा. भट्टाचार्य के परिवार जन ,विधायक डा.चिंतामणि मालवीय, पूर्व सभापति सोनू गेहलोत , राजशेखर व्यास ,डा,.उर्मि शर्मा, शीला वैद्य, डा.देवेंद्र जोशी, संतोष सुपेकर सहित कई प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।
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