फतेहपुर। विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट, आगरा तथा माधवी फाउण्डेशन, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय पुस्तक मेला सभागार, बलरामपुर गार्डन, लखनऊ में भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ।
जिसमें विद्वानों ने "साहित्य में प्रकृति चित्रण एवं पर्यावरण चेतना" पर विविध आयामों को लेकर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये। इस अवसर पर फतेहपुर के चर्चित साहित्यकार एवं समीक्षक डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर' बतौर विशिष्ट अतिथि और वक्ता उपस्थित रहे। उन्होंने "समकालीन दोहा काव्य में प्रकृति बोध एवं पर्यावरण चेतना" विषय पर अपने शोधपत्र के मुख्य अंश प्रस्तुत किये। उन्हें साहित्य भूषण डॉ. मिथिलेश दीक्षित एवं मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य द्वारा प्रतीक चिह्न, प्रशस्तिपत्र, अंगवस्त्र तथा कण्ठहार देकर सम्मानित किया गया।
ज्ञात हो कि शैलेष जी हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में निरन्तर लिख रहे हैं। विभिन्न विधाओं में सृजन एवं सम्पादन के माध्यम से अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले वीर जी की रचनाएँ देश-विदेश के हिन्दी और अंग्रेज़ी के विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, वेबसाइट्स, संकलनों तथा शोध-संकलनों में अनवरत् प्रकाशित होती रहती हैं। उनकी कविताओं का अनुवाद अनेक यूरोपीय एवं एशियाई भाषाओं में किया जा चुका है। उनकी रचनाओं का प्रसारण दुनिया के अनेक हिस्सों से हो चुका है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. विद्या बिन्दु सिंह थीं, जबकि प्रथम सत्र की अध्यक्षता अभिदेशक के सम्पादक डॉ.ओंकार नाथ द्विवेदी ने की तथा द्वितीय सत्र की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध सर्जक डा. विश्वम्भर शुक्ल ने की। इस अवसर पर कई पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ और देश के अन्य प्रान्तों से आमंत्रित साहित्यकार भी सम्मानित किये गये। संचालन प्रो. कल्पना दुबे तथा प्रो. सुभाषिणी शर्मा ने किया। आभार ज्ञापन माधवी फाउण्डेशन की अध्यक्ष डॉ. मिथिलेश दीक्षित तथा विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. मोहन मुरारी शर्मा ने किया।
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