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अपने समय की संस्कृति को कृतियां बताती है -जितेन्द्र निर्मोही

हाड़ौती अंचल में 81 लेखिकाओं के सृजन को केंद्र में रखकर लिखी गई है : नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान

कोटा। कोई भी कृति अपने समय की संस्कृति को रुपायित करती है। आदिकाल में लिखी गई कृतियां जो बालावबोध, रुक्का ख्यात आदि के रुप में लिखी गई उस समय की सभ्यता, संस्कृति और समाज को बताती है। आज की लोकार्पित कृति "नारी साहित्यिक चेतना की उड़ान" भी कालांतर में अपने परिवेश को बतायेगी।लेखक डॉ प्रभात सिंघल ने यह कृति कितने ही संदर्भों से गुजरते हुए लिखी है।यह नारी विमर्श की शानदार कृति है सच तो यह है कि यह देश के हाड़ौती अंचल में 81 लेखिकाओं के सृजन को केंद्र में रखकर लिखी गई है।जो देश के अन्य प्रांतों और अंचलों को ऐसा सृजन करने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने यह वक्तव्य मंगल कलश सभागार में आयोजित श्री आर के पुरम कोटा परमार्थ समिति,सुमंगलम ग्रुप और शिशु भारती शिक्षण संस्थान कोटा के सौजन्य से आयोजित डॉ प्रभात सिंघल की कृति "नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान" के लोकार्पण के समय दीए। उन्होंने कहा यह कृति नहीं अपने समय का दस्तावेजीकरण है।

समारोह के मुख्य अतिथि ईश्वर लाल सैनी निदेशक सुमंगलम ग्रुप ने कहा कि विचारणा, धारणा, कल्पना स्त्रैण शब्द है इनकी शाब्दिक अनुभूति से रचनाकर्म होता है।यह कृति अपने समय के नारी लेखन की जागरूकता की परिणति है। आज़ का यह आयोजन लेखिकाओं के सैलाब उमड़ पड़ा हो जैसा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही रेणु गौड़ अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय गुर्जर गौड़ समाज ने कहा कि महिला चेतना और उनके सहयोग की बात हर मंच से कही जाती है। लेखक की कृति का लोकार्पण समारोह बता रहा है कि लेखिकाओं की चेतना क्या होती है। विभिन्न अंचलों से आई विभिन्न विधाओं को लिखने वाली लेखिकाओं की यह शतकीय साझेदारी मेरे जीवनकाल में कहीं देखने को नहीं मिली इसलिए आज़ का आयोजन महत्वपूर्ण है।

नहुष व्यास के संचालन में समारोह दीप प्रज्वलन के बाद हाड़ौती कवि किशन वर्मा की सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुआ। स्वागताध्यक्ष पी पी गुप्ता ने कहा कि आज का यह मंच विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों का मंच है फिर भारी मात्रा में लेखक और लेखिकाओं की भागीदारी में इसका हृदय से स्वागत करता हूं। इसके बाद मंच का संचालन स्नेहलता शर्मा ने संभालकर समारोह को बौध्दिक संपदा से सम्पन्न करने के लिए बीज वक्तव्य के लिए डॉ दीपक श्रीवास्तव को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि अब कोटा नगर शैक्षिक नगरी के साथ साथ साहित्यकारों का नगर भी कहलाने लगा है जिसका बहुत कुछ श्रेय जितेन्द्र निर्मोही को जाता है जिन्होंने नव युवकों के साथ साथ महिलाओं को भी नव लेखन के लिए प्रेरित किया। आज़ की कृति की नींव भी इनके सानिध्य में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 को रंगनाथन सभागार में रखी गई थी। जिससे प्रेरित हो डॉ प्रभात सिंघल ने इस कृति का दस्तावेजीकरण किया है। रचनाकार डॉ प्रभात सिंघल ने इस कृति की रचना प्रक्रिया और सहयोगी लेखिकाओं के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा इस कृति के संदर्भ में देश भर के विद्वान बंधुओं विदुषी लेखिकाओं की जो प्रतिक्रिया आ रही है उससे मैं अचंभित हूं सोच रहा हूं क्या मैंने ऐसी कृति लिख दी क्या?कृति पर बोलते हुए मुख्य वक्ता विजय जोशी ने कहा कि यह कृति सृजन क्षेत्र के संदर्भों में विभिन्न सौपान खोलती है।इसे शोध संदर्भों में विशेष रूप से देखा जाना चाहिए।

समारोह को शिशु भारती शिक्षण संस्थान कोटा के निदेशक योगेन्द्र शर्मा जयपुर से आये वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल प्रभाकर,के एल भ्रमर,रेखा पंचोली अध्यक्ष आर्यन लेखिका मंच कोटा , स्नेहलता शर्मा अध्यक्ष साहित्य एवं कला संस्थान कोटा ने संबोधित किया। धन्यवाद साहित्यकार महेश पंचौली ने दिया

इस समारोह में प्रदेश भर से आई डॉ वीणा अग्रवाल, डॉ रेखा शर्मा, श्यामा शर्मा, श्वेता शर्मा, डॉ अपर्णा पाण्डेय, डॉ हिमानी भाटिया, डॉ वैदेही गौतम सहित लगभग नब्बे लेखिकाओं ने भाग लिया साथ ही नगर के साहित्यकार भगवती प्रसाद गौतम, विजय शर्मा, विजय महेश्वरी, रामस्वरूप मूंदड़ा,जे पी मधुकर, प्रेम शास्त्री, हेमराज सिंह, पत्रकार के डी अब्बासी, अख्तर खान अकेला सहित लगभग एक सौ दस रचनाकारों भागीदारी की।

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