उज्जैन। 'आज सौ में से केवल बीस प्रतिशत लघुकथाएँ स्तरीय हैं। नये लघुकथाकार को हर स्तर पर अपनी लघुकथा जाँचना चाहिए। विषयों के दोहराव से बचना चाहिए।' उक्त बात वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी (इंदौर) ने सरल काव्यांजलि संस्था द्वारा आयोजित लघुकथा गोष्ठी में कही।
जानकारी देते हुए संस्था के वी एस गहलोत 'साकित उज्जैनी' ने बताया कि इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. स्वामीनाथ पांडेय ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि लघुकथा एक सूत्र है।जो समाज के हित में लिखा जाए वह साहित्य है। साहित्य सृजन उस भाषा में करें जो पाठक आसानी से समझ जाए।
कार्यक्रम की अध्यक्ष, लघुकथाकार, कालिदास कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. वंदना गुप्ता ने कहा कि हमे अपने ज्ञान को तराशना चाहिए। लिखी हुई लघुकथा पर चिंतन मनन करें। लघुकथा और अच्छा आकार लेगी। लघुकथाकार सन्तोष सुपेकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज लघुकथाओं में पारिवारिक, सामाजिक से लेकर मोबाईल, इंटरनेट, बाजारवाद,शेयर मार्केट तक के सारे विषय उठाए जा रहे हैं। हमारे लघुकथाकार अपना सर्वश्रेष्ठ देकर लघुकथा को साहित्य जगत का सिरमौर बनाना चाहते हैं, किन्तु क्या अभी भी कुछ कमी है हमारे प्रयासों में? क्या हमारी भाषा में, शिल्प में वह त्वरा, वह ताप उत्पन्न हो पा रहा है जिससे हमारी लघुकथा प्रेमचंद, खलील जिब्रान, जयशंकर प्रसाद, अंतोन चेखव, अर्नेस्ट हेमिंग्वे, गोर्की आदि विश्वविख्यात लेखकों के सृजन के समीप तक पहुँच सके?
इस अवसर पर नगर के लघुकथाकारों सर्वश्री सन्तोष सुपेकर, वर्षा गर्ग, रामचन्द्र धर्मदासानी, कोमल वाधवानी 'प्रेरणा', आशागंगा शिरढोणकर, डॉ. नेत्रा रावणकर, संदीप सृजन, कमलेश व्यास 'कमल ,आशीष श्रीवास्तव 'अश्क', प्रियम जैन, मानसिंह 'शरद', डॉ.वंदना गुप्ता, दिलीप जैन और डॉ स्वामीनाथ पांडेय ने अपनी प्रभावी लघुकथाओं का पाठ किया।
प्रारम्भ में अतिथि स्वागत सुगनचन्द्र जैन , नितिन पोल , डॉ संजय नागर ने किया ,सरस्वती वंदना आशीष श्रीवास्तव 'अश्क' ने प्रस्तुत की। संस्था की परंपरा अनुसार श्रीकृष्ण 'सरल' जी कविता का पाठ डॉ .रफीक नागोरी ने किया।
स्वागत भाषण संस्था महासचिव सन्तोष सुपेकर ने दिया। मई माह के जन्म दिवस वाले सदस्यों श्रीमती कोमल वाधवानी 'प्रेरणा', नितिन पोल, रामचन्द्र धर्मदासानी और डॉ रफीक नागौरी का स्वागत हुआ। सदस्य प्रियम जैन के रीवा स्थानांतरण पर बिदाई दी गयी। संचालन सचिव मानसिंह शरद ने किया। आभार संस्था अध्यक्ष डॉ. संजय नागर ने माना।
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