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इंसान उत्तम हो (गीतिका) - कैलाश सोनी 'सार्थक'


जिंदगी में आपकी पहचान उत्तम हो
भाव भाषा साधना हो ज्ञान उत्तम हो

कर्म किस्मत वक्त सबके साथ चलते हैं
हो भले कुछ भी मगर इंसान उत्तम हो

लोग देते आपको दिल खोल कर चाहत
आप दो तो ध्यान हो प्रतिदान उत्तम हो

छाप छोड़े जो दिलों पर खास होते हैं
बात उनकी जब करो गुणगान उत्तम हो

पेट जिनका है भरा कब सोचकर खाते
भूख कहती है अभी जलपान उत्तम हो

जीत पाना चाहते हैं लोग सब सुन लो
कोशिशें चिंतन लगन सोपान उत्तम हो

मंजिलें खुद आपको मिल जायगी 'सोनी'
राह कैसी हो यही अनुमान उत्तम हो

-कैलाश सोनी सार्थक, नागदा

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