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तो सच्ची दीवाली है (गीत) -डॉ नलिन


विद्युत्दीप जलाने वालो
स्नेहयुक्त दीपक भी बालो
महल - झोंपड़ी गले मिलें यदि
तो सच्ची दीवाली है

अगरु - धूप की फुलझडियां हों
मृदु मुस्कानों की लड़ियां हों
महक फैलती जाए नभ तक
तो सच्ची दीवाली है

मन में मनभावन भावों की
मिट्टी लाओ कुछ गाँवों की
धरती को पहनाओ गहने
तो सच्ची दीवाली है

मीठी जिह्वा सी न मिठाई
होती कोई जग में भाई
इक दूजे को खूब खिलाओ
तो सच्ची दीवाली है

-डॉ नलिन,कोटा

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