इक ज़रा मुस्कुरा के देख लिया (ग़ज़ल) -हमीद कानपुरी
इक ज़रा मुस्कुरा के देख लिया।
सब की नज़रें बचा के देख लिया।
उस पे होता नहीं असर कुछ भी,
अपना सबकुछ लुटा के देख लिया।
इक रत्ती मदद न की जग ने,
सब को हालत बता के देख लिया।
दिल हुआ बाग बाग यूँ इक दम,
उसने चिलमन उठा के देख लिया।
आसरे सब हमीद झूठे है,
कुलजहां आज़मा के देख लिया।
-हमीद कानपुरी
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