घना कोहरा
कड़ाके की ठंड
मूसलाधार बारिश के बावजूद
अपने भीतर बने घोंसलें की परवाह होती हैं
बहुत फ़िक्र होती हैं
बरगद के पेड़ को
निःस्वार्थ देते हैं सब को
घनी छाँव
असीम संतुष्टि
पथिक के ठहराव की तरह
वैसे ही होते हैं
पिता
हम सब के पिता
जो होते हैं वटवृक्ष की तरह
उनके होने की मौजूदगी भर
हिम्मत - साहस और हौसला देती हैं
अनुभव उनके होते हैं
औषधि की तरह
होता हैं उनके पास हर मर्ज का ईलाज़
पिता
सेवानिवृति के बाद कभी भी
पुराने कैलेंडर नहीं होते
याद हमें ही रखना हैं
इन पुराने कैलेंडरों के पीछे के पन्नों पर
चौघड़िया कभी पुराना नहीं होता
वहीं बताता हैं हमें
हर पल शुभ - लाभ - चर - अमृत
और भी बहुत कुछ
सच
पिता तजुर्बा,अनुभव,अहसास होते हैं
जिन्हें मिल रही छाँव इनकी,
याद हमें ही रखना हैं
इन पुराने कैलेंडरों के पीछे के पन्नों पर
चौघड़िया कभी पुराना नहीं होता
वहीं बताता हैं हमें
हर पल शुभ - लाभ - चर - अमृत
और भी बहुत कुछ
सच
पिता तजुर्बा,अनुभव,अहसास होते हैं
जिन्हें मिल रही छाँव इनकी,
वे ईश्वरीय आशीष होते हैं
-डॉ सुरेन्द्र मीणा, नागदा
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