तिमिर को जाना होगा (कविता) -डॉ मीरा सिंह 'मीरा'
नन्हा दीपक लाल ठोकता
आज तिमिर को जाना होगा।
झिलमिल करते तारक कहते
शुरू नया अफसाना होगा।।
लेकर अपने संग सवेरा
नव किरणों को आना होगा।
लहु के प्यासे लोग हुए जो
उनको प्रेम सीखना होगा।।
मानव तन में जन्म लिए तो
मानव धर्म निभाना होगा ।
मन की पीड़ा जो सहलाए
गीत वहीं अब गाना होगा।।
देखो आई है दीवाली
मैल हृदय का धोना होगा।
शिकवे गिले सभी बिसराकर
रौशन कोना कोना होगा।।
-डॉ मीरा सिंह 'मीरा',डुमरांव, जिला-बक्सर, बिहार
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