निमाड़ी कला की यह है
प्राचीन पौराणिक संस्कृति।
पूजते है जन जन जिसे
नाम है जिरोती जिरोती।।
पवित्र माह आया है
मन भावन सावन का ।
आज है हरियाली अमावस्या
दिन है ये पावन का ।।
लोक परंपराओं का
यह है मजबूत आधार ।
मनाते है सभी नर नारी
मिलकर यह त्योहार।।
सज गई पूजाघर की दिवारे
जल गई दिव्य ज्योति।
हो गई गंगाजल,गोबर
गेरू चाक से लीपापोती।।
मढ गई चांद, सूरज ,पालना ,
फूल पत्ती की तस्वीरे।
नाग बिच्छू की आकृतियां
बहनों ने है उकेरे।।
महक रहे पकवान ,सज गया
आंगन जैसे नव्य नवेली।
भाई बहन का पवित्र प्यार है
इस त्योहार की हमजोली।।
यह त्योहार लाता है
खुशियों का सुंदर संसार।
जिससे बंधे रहते हमारे
घर परिवार।।
जिरोती अम्मोस यह पर्व है
मांडना और प्रेम त्योहार का।
जिरोती जरासंघ जैसे
भाई बहन के प्यार दुलार का।।
पुरनपोली का भोग लगा कर
करते है हम पूजन अर्चना।
कर दो कृपा हम सब पर
पूर्ण हो यह प्रार्थना।।
दे जाओ जिरोती माता
खुशहाली का वरदान।
परिवार में सुख समृद्धि हो
चिरंजीवी हो हर संतान ।।
-अर्चना नायडू, भोपाल
जिरोती अम्मोस यह पर्व है
मांडना और प्रेम त्योहार का।
जिरोती जरासंघ जैसे
भाई बहन के प्यार दुलार का।।
पुरनपोली का भोग लगा कर
करते है हम पूजन अर्चना।
कर दो कृपा हम सब पर
पूर्ण हो यह प्रार्थना।।
दे जाओ जिरोती माता
खुशहाली का वरदान।
परिवार में सुख समृद्धि हो
चिरंजीवी हो हर संतान ।।
-अर्चना नायडू, भोपाल
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