ये चुनावों का असर है (ग़ज़ल)
अब हवाओं में ज़हर है।
हो रहा जीना दुभर है।।
गफ़लतों में गॉंव ग़ाफ़िल।
साजिशों में सब शहर है।।
मज़हबी दौर ए जुनूं में।
आदमी बस जानवर है।।
वो जिसे चाहे पिलाए।
सल्तनत पक्की नहर है।।
बस्तियों में अब लुटेरे।
ये चुनावों का असर है।।
तोड़ देगी दम अना भी।
झूठ की उस पर नज़र है।।
खूब मंडेला लड़े पर।
सब नतीज़ों में सिफर है।।
-कैलाश मण्डेला, शाहपुरा
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