इंदौर। लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकार्ड संग्रहालय ग्राम पिगडंबर (राऊ) और इंदौर की सुरीली संस्था स्वरदा के मिले-जुले सहयोग से, विगत दिनों एक गीत उत्सव, इंदौर के दुआ सभागार में, रुचिकर श्रोताओं की महनीय उपस्थिति में पूर्णता को प्राप्त हुआ।
कोकिल-कंठी गायिका, सपना केकरे तथा उनके समूह के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले, सभी अनसुने और दुर्लभ गीतों का चयन किया था, देश के वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक अजातशत्रु जी मुंबई ने। वे पूरे आयोजन के दौरान ही, अपनी मूल्यवान उपस्थिति से, कार्यक्रम की अतिरिक्त गरिमा वृद्धि करते रहे। प्रत्येक गीत की प्रस्तुति के बाद, वे उस गीत में समाहित रहस्य, अर्थ और मर्म से भी सुनने वालों को अवगत कराते रहे। किसी भी गीत समारोह में, अजातशत्रु जी का होना मात्र ही, उसको धनवान बनाने के लिए पर्याप्त रहता है। बहुत ही पुराने गीतों का श्रवण करते श्रोताओं ने भी, मन भरकर परमानंद प्राप्त किया।
इसी कार्यक्रम के ठीक मध्यकाल में, सुमन चौरसिया जी की राऊ स्थित उक्त संस्था द्वारा प्रकाशित, एक शब्दांजलि पुस्तक ‘सृष्टि का दिव्य स्वर’ की मुंह दिखाई भी संपन्न हुई। जिन महानुभावों ने, इस पुस्तक को मंच पर से, अपने कर-कमलों द्वारा बतलाया, उनमें शामिल थे, राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन, सांसद शंकर लालवानी, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, जिला भाजपा मोर्चा अध्यक्ष मनोजसिंह ठाकुर, इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, सुमन चौरसिया, खासकर पुणे से आए फ़िल्म इतिहासकार मनमोहन चड्ढा और पुणे के ही सिने-प्रेमी हर्षवर्धन लाड़। पुस्तक विमोचन का यह प्रीतिकर नजारा, अजातशत्रु जी, दर्शक दीर्घा में विराजित होकर देखते हुए ही, आनंदित हो रहे थे। 222 पेजी इस लता ग्रंथ में, 15 सिद्धहस्त कलमकारों ने, लताजी को याद करते हुए, कलम के माध्यम से, अपनी अपनी स्मृति के सुमन अर्पित किए हैं। इस लता स्मृति पुस्तक को देखते, कहा जा सकता है कि, इस श्रेणी के स्मृति ग्रंथों का प्रकाशन यदा-कदा ही होता है।
-ललित भाटी, इंदौर
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