यादों की कंदीले (कविता)
चांद उतरा जमीं पर वही ठिठक गया
जुगनूओं का उजाला झुरमुट में बिखर गया
झील के शांत किनारे पर तुम्हारी यादें ताजा है
वो खिल खिला कर हंसना मेरे दिल में दहक गया
तुम इबादत की तरह हरदम होटों पर रहती हो
उफ़ तक ना कहती हो दिल चटक कर रह गया
साथ उम्र भर ना सही मुझे कोई ग़म नहीं है
पल दो पल ख्यालों में आकर ही तू बस गया
एक बार दिल से याद करना तुम्हारा
मेरे दिल की कंदीलों को रोशन कर गया
-अर्विना गहलोत, नागपुर
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