सूरज लौट रहा (नवगीत)
सिर पर धूप की गठरिया धर -
सूरज लौट रहा अपने घर ।
दिन का बाज़ार -
उठने लगा ।
खरीदार उजाला -
घर चला ।
सुबह का पखेरू शाम ढले -
लौट रहा है कटवाकर पर ।
धूप , धूप में -
बैठी दिन भर ।
लू के तसले -
वह ले- लेकर ।
बिन मौसम आंधी , बारिश अब -
झेले ओलों की भी वह झड़ ।
हवा का भींज -
गया सामान ।
हवा का हाट -
हुआ वीरान ।
अंधियारे का हाथ पकड़कर -
दहशत बांधे लाई अब डर ।
बादल का -
आ गया दरोगा ।
पहना जिसने -
काला चोगा ।
डांट - डपटकर पर्ची काटे -
मुआफ़ करे न साला अब कर ।
-अशोक आनन, मक्सी
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