सीमा जोशी
नारी ही रहने दो
कुछ विशिष्ट हूँ बस
नारी ही रहने दो !
हूँ लबरेज़ स्नेह करूणा से
पृकृति हूं प्यारी
बस प्यारी ही रहने दो !
मुझ जैसा ही फूल खिले
उपवन की क्यारी हूँ
बस क्यारी ही रहने दो !
दर्द पीड़ा सह लूंगी
अद्भुत हूँ न्यारी हूँ
बस न्यारी ही रहने दो !
मंदिर की ज्योति मैदान की ज्वाला
जंग की चिंगारी हूँ
बस चिंगारी ही रहने दो !
कुछ विशिष्ट हूँ बस
नारी हूँ
नारी ही रहने दो !
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