सुषमा दीक्षित शुक्ला
ऐ!मातृशक्ति अब जाग जाग।
ऐ!शक्तिपुंज अब जाग जाग ।
रणचंडी बन तू स्वयं आज।
मत बन निरीह नारी समाज।
उठ हो सशक्त भय रहा भाग ।
अबला का चोला त्याग त्याग ।
चल अस्त्र उठा तज लोक लाज ।
शोषण का ले जग से हिसाब ।
भारत की नारी दुर्गा है ,
भारत की नारी सीता है ।
रणचण्डी बन वह युद्ध करे ,
गीता सी परम पुनीता है ।
मां कौशल्या, जसुदा बनकर ,
जग् को सौगात दिया उसने ।
लक्ष्मीबाई रजिया बनकर ,
बैरी को मात दिया उसने ।
वह अनुसुइया वह सावित्री ,
वह पार्वती का मृदुल रूप ।
वह राधा है वह सरसवती
माँ लक्ष्मी का अनुपम स्वरूप ।
इसको अपमानित मत करना ,
ऐ!दुनिया वालों सुन लो तुम ।
सब नरक भोग कर जाओगे ,
अब कान खोलकर सुन लो तुम ।
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