कर्नल प्रवीण त्रिपाठी |
समझो प्रभु का यह वरदान,
इसे व्यर्थ न करिये आप,
वरना फिर झेलेंगें संताप।
मचा हुआ चहुदिश आतंक,
धनी धनी, निर्धन अति रंक,
बीच पिस रहा मध्यम वर्ग,
नहीं मिला मनचाहा स्वर्ग।
राजनीति है अब अनमोल,
सभी दल नित्य बजाते ढ़ोल,
खोजे डफली और छेड़े राग,
ओ!सोई जनता अब जाग।
जाति धर्म अब है व्यापार।
हुआ देश का बंटाधार।
नित्य नवेले होते क्लेश।
बदला समजिक परिवेश।
हे मानव! तू रह मत मौन।
बागडोर थामेगा कौन?
सुप्त अवस्था त्यागो आज।
जागृत कर दो सर्व समाज।
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