जग में नूतन खुशियां लाकर ।
परम पिता की सदा दुआ हो,
उनकी सुंदर बगिया पर ।
दो खुशियों की शुभ सौगातें ,
सुख के सुंदर दीप जलाकर ।
दो हजार इक्कीस तुम आओ ,
जग में नूतन खुशियां लाकर ।
खिलते रहें गुलाब सदा ही ,
साँसों की अगणित शाखों पर ।
सुंदर अभिलाषाएं पूरी हों ,
नित नवल वर्ष की राहों पर ।
आँधी बनकर ख़ुशबू बिखरे ,
भारत माता के दामन पर ।
सपनों की नइया तट पहुँचे ,
नित नवल वर्ष के आँगन पर ।
दो हजार इक्कीस तुम आओ ,
जग में नूतन खुशियां लाकर ।
परमपिता की सदा दुआ हो ,
उनकी सुंदर बगिया पर ।
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