भीख ... एक ऐसा शब्द सुन कर ही हर इन्सान नाक - मुंह सिकोड़ लेता है , बहुत बुरा लगता है ये शब्द सुनने में । जब कोई भीख मांगता है तो पहले वो अपना ज़मीर मारता है , बहुत मजबूर हो कर कहीं भीख मांगने के लिए हाथ फैलाता है। भीख मांगने वाले को कभी - कभी कितना ज़लील होना पड़ता है ये कोई नहीं समझ सकता । कितने खून के आंसू पीता है एक इन्सान जब वो भीख के लिए हाथ फैलाता है ।
एक औरत जब कोई रास्ता नजर नहीं आता , बच्चों के पेट की आग बुझाने के लिए भीख तक मांगने को तैयार हो जाती है । कितनी घूरती हुई नज़रों का सामना करती है कभी भीख देने वाले हाथ उसे छूते हैं, तो कभी भीख देने वाले की नज़रें उसके बदन का नक्शा पढ़ती हैं । पेट कुछ आग , बच्चों का भेंट है बिलखता चेहरा जब उसके सामने आता है तो वो ये सब भी बर्दाश्त करती है , तैयार है अपने बदन के नक्शे पढ़वाने को भीख के एक टुकड़े के लिए । ठोकरें खाने को तैयार हुआ के एक टुकड़े के लिए । सौ गाली सुनकर भी रहती चुप भुख के एक टुकड़े के लिए । दुत्कार कर घर, दूकिन, आफिस से निकाली जाती भीख के एक टुकड़े के लिए । अपना ज़मीर तक बेच देती भीख के एक टुकड़े के लिए ।लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि इस तरह उन्हें दुत्कार कर निकालना या भीख देना कहां तक सही है । क्या हम उन्हें भीख देकर उनकी सहायता कर रहे हैं या कोई गुनाह ?
कभी हम भीख देकर सहायता कर सकते हैं परन्तु हर समय सहायता नहीं होती,अक्सर हम उनके साथ अन्याय करते हैं । उन्हें हम ज़िल्लत के टुकड़े खाना सिखा रहे हैं, उन्हें हम मुफ्तखोर बना रहे हैं, उन्हें अपाहिज - अपंग बना रहे हैं । उन्हें बिना हाथ-पैर चलाए , बिना कुछ काम किए ,केवल घर- घर घूम कर भीख मांग कर खाना - पानी मिल जाता है। अक्सर देखा गया है अच्छे - खासे नौजवान लड़के - लड़कियां, औरत - मर्द भीख मांगते , दुत्कार- फटकार सहते देखें जाते हैं , क्योंकि उन्हें भीख की लत लग चुकी है । अगर कोई सचमुच लाचार है , अपाहिज है , कुछ भी काम करने के काबिल नहीं है ,तब हम उसे किसी रूप में मदद करें , अन्यथा जो शरीर से तंदुरुस्त है उन्हें भीख देकर हम उनका भविष्य अंधेरे की गर्त में डाल रहे हैं । अगर पहली बार ही भीख ना देकर इन्हें कोई काम दे दिया जाए तो हो सकता है भीख की प्रवृत्ति इनकी खत्म हो जाए ।
इस तरह से कोई लाचार नहीं होगा भीख मांगने के लिए , कोई किसी की दुत्कार नहीं सहेगा , कोई किसी के हाथों ज़लील नहीं होगा ।कोई बच्चा अगर भीख मांगता है तो हम उसकी अगर ज्यादा मदद नहीं कर सकते तो कम से कम उसे सरकारी स्कूल में दाखिला दिला सकते हैं , जहां सरकार हर सहुलियत मुहैया करा रही है । अगर कोई बच्चा कहता है कि उसका कोई नहीं इसलिए भीख मांग रहा है तो उसे अनाथालय में पहुंचाया जाए । अगर कुछ लोगो की भी इस तरह मदद की जाए तो हमारे देश से भीख की प्रवृति खत्म हो सकती है ।
✍️प्रेम बजाज, यमुनानगर
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