✍️रंजना कश्यप
है क्या कोई आश्चर्यजनक जगह ?
जहां कोई शत्रु नहीं है,
कोई अपराधी नहीं,
कोई छेड़छाड़ नहीं,
कोई प्रतिबंध नहीं!
कन्याएं हमारी जिनको
हम कहते पारियां अपनी,
देवी पूजन जिनकी करता संसार,
उनकी मासूमियत खोने का
कोई डर नहीं
गर्भ में ही उनकी
हत्या होने का ख्याल नहीं ,
वे सुरक्षा के साथ रहे जहां,
है क्या कोई ऐसी धरती?
नहीं है!
मार दी जाती हैं यहां कितनी दुल्हनें,
क्या है एक सुरक्षित भूमि ?
जहां दहेज के लिए कोई हत्या नहीं,
जहां क्रूरता दिखाने के लिए
कोई जानवर मौजूद नहीं,
क्या है कोई ऐसा निर्माता?
नहीं है!
उस भूमि उस देश, नगर और
संसार को स्वयं ही आज बनाना होगा,
स्वयं ब्रह्मा और
विश्वकर्मा का रूप धारण करना होगा,
छोड़ना होगा ये पारियों का चोला,
बनना होगा हर स्त्री को दुर्गा काली,
दुष्टों का संहार स्वयं ही करना होगा!
होगा निर्माण तभी उस जगत का,
होगी जहां सुबह मुस्कुराती,
नहीं रहेगा वहां डर कोई,
नहीं होंगे कोई आँसू,
शाम इंद्रधनुष के रंगों से होगी रंगी,
रात सपने लाएगी!
और फिर से ये परियां मस्कुरुएंगी!
*झाकड़ी, हिमाचल प्रदेश
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