✍️रमाकान्त चौधरी
हर रोज,
काम के बोझ से थक जाता है शरीर।
हर पल चिंताओं से घिरा रहता है दिमाग।
और फिर बेसब्री से होता है इंतज़ार।
कि जल्द से जल्द आ जाये इतवार।
सोचता हूँ,
कि इस बार इतवार को, नही करूँगा कोई काम।
बस सारा दिन करूँगा आराम,
बस केवल आराम।
पर इतवार आते आते कामों की लम्बी फेहरिस्त,
हो जाती है तैयार।
फिर वे सारे काम बमुश्किल निपटा पाता हूँ इस इतवार।
और फिर शुरू हो जाता है अगले इतवार का इंतजार।
परन्तु इसी उहापोह भरी जिंदगी और थकन के मध्य ,
देखता हूँ जब तुम्हारा चेहरा,
जिस पर दिखाई देती है मासूमियत, खुशी, सुकून,
तथा अपने लिए बेहद प्यार।
और इन खूबसूरत पलों के बीच,
तुम जब हंसती हो,
तो सच में ,
सच में हो जाता है , मेरा पूरा इतवार।
*लखीमपुर खीरी उ प्र
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