✍️डा रघुनाथ मिश्र 'सहज'
हृदय महाराजा सिज़दा।
इसकी सुनलो सदा-सदा।
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कभी न यह गुमराह करे,
रोके हर पल आपदा।
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लो सलाह इससे जब भी,
हो दिशाहीन व ग़मज़दा।
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हृदय बताए सही ढंग,
सही आदर्श व कायदा।
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हृदय यदि मालिक बन जाय,
फिर जीवन हो सहजप्रदा।
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हृदय ईश्वर वही देव,
वह सुखदाता व संपदा।
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हृदय ब्रम्ह ब्रम्हाण्ड वही,
'सहज' वही है सुखद अदा।
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*कोटा (राजस्थान)
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