✍️ रामगोपाल राही
निज राष्ट्र चेतना निज भाषा ,
स्वाभिमान सभी का होता है |
अभिव्यक्त देश की भाषा में ,
संज्ञान सभी का होता है ||
अनुरक्त देश के तन मन में ,
हिन्दी वो जीवन धारा है |
हिन्दी निज देश की भाषा से,
गर्वित यह देश हमारा है ||
हर देश का अपना चिंतन व ,
भाषा भी अपनी होती है |
स्वच्छन्द सोच व अभिव्यक्ति ,
निज भाषा में ही होती है ||
- लिख -पढ़ बोले व्यापक हो ,
भाषा -वो प्यारी होती है |
जाने जन देश के अधिसंख्य ,
वो राष्ट्र भाषा होती है ||
निज देश की अपनी भाषा में ,
संस्कार परिष्कृत होते हैं |
निज कंठ में निज ही वाणी हो ,
विचार अधिकृत होते हैं ||
सच कहता सबको हिन्दी ही,
कर्तव्य सिखाने वाली है|
संस्कृति - देश की गरिमा की ,
हर बात बताने वाली है ||
यहाँ लोकतंत्र का शासन है ,
स्वच्छन्द सभी है भारत में |
हर बात राष्ट्र की भाषा में ,
जानेंगे ! अपने भारत में |
निज राष्ट्र की भाषा हिन्दी का ,
सम्मान देश में ऊँचा हो |
शासन के ढंग प्रणाली में ,
हिन्दी का दर्जा ऊंचा हो ||
*लाखेरी,जिला बूँदी (राज )
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