✍️रंजना कश्यप
ऐ मन
कितना सुकून होता!
अगर प्यार को, कभी बारिश के मोतियों के रूप में तुझे दे पाती,
मैं एक संपूर्ण बादल बनाती और तुझ पर बरसाती,
बर्फ से बने हीरे तुझे पहनाती!
मैं तुझे एक संपूर्ण वसंत के लिए प्रेरित करती,
काश! प्यार को चमकदार कलियों के रूप में तुझे दे पाती!
सारी कलियां तुझे देती!
ऐ मन
तेरी चाहत है एक पूरा ब्रह्मांड पार करने की,
अगर चाँद, सितारे और सूरज उपहार में तुझे दे पाती,
तो सितारों को तुझ पर लुटाती,
चांद का तुझे ताज पहनाती,
सूरज से तेरी राह रोशन करती!
ऐ मन
मेरे खूबसूरत पंछी,
तेरा साहस विफल रहा,
पर मैं कहती हूँ, जोड़ अपने टूटे हुए टुकड़े
आज पंख दिए मैंने तुझे मन,
आसमां अद्भुत है, जादुई है,
अपने पंखों में ताकत की हवा भर,
प्यार को महसूस कर और उड़ जा,
पार कर ले इस ब्रह्माण्ड की हर हद,
तू उड़ जा बस
उड़ जा!
उड़ जा!
*झाकड़ी, हिमाचल प्रदेश
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब हमारे वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ