✍️राजेंद्र परदेसी
चाहो तो यादों के बाजार से
तुम भी कुछ ले लो
प्यार की पैकिंग पर
डेट न देखो
सावन के झूले ही ले लो
पेंगो की ऊँचाई में
इसकी कजरी मेहंदी रचाए मिलेगी
और यह रही
संबंधों की बुरादे वाली अंगीठी
इसमें जब भी तुम
कोई पकवान या चाय पकाओगे
तुम्हे इसकी सुगंध और स्वाद
प्रकृति से जुडी मिलेगी
बांस की लाठी तो
शेष हो चली
चाहो तो एक बांसुरी ही ले लो
*लखनऊ
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