✍️रविकान्त सनाढ्य
रक्षाबंधन पर बहिन कहे
कोरोना- बंधन भारी है ।
आना- जाना बंद हुआ
यह कैसी महामारी है ?
भैया मेरी रक्षा पीछे,
तुम अपनी रक्षा कर लेना ।
मुझको तो बस हाथ उठाकर
दूर से आशीष दे देना ।
नहीं मिठाई, नहीं नारियल
ना राखी लाचारी है ।
डाक से राखी भेजें भी तो
ख़तरे की तैयारी है ।
आऊँ भी तो आऊँ कैसे
लॉकडाउन भी जारी है ।
घर में क्वारन्टाइन होकर
रहना समझदारी है ।
धागा लेकर मेरे नाम का
बच्ची से बँधवा लेना ,
मूंग लाल कपड़े में रखकर
पुरानी रीत जिला देना ।
कोरोना ने सिखा दिया है
परंपराएँ प्यारी हैं ।
समय आगया वही बचेगा,
जिसने भूल सुधारी है ।
रिश्ते के ये कच्चे धागे
तो मज़बूत हमारे हैं ।
स्वस्थ रहें खुशहाल रहें तो
रिश्ते निभते सारे हैं ।
इस विचार को समझो कृपया
कोरोना-आफ़त तारी है ।
नेग चाहिये नहीं न चाहत
मेरी कोई सारी है ।
नियमों का पालन करना बस
कुछ दिन की दुश्वारी है ।।
कोरोना को कम मत आँको,
यह तलवार दुधारी है ।।
*भीलवाड़ा
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