✍️रश्मि वत्स
राखी ! मात्र ये धागा नही है ,
यह बंधन है भाई -बहन के स्नेह का।
जाने कितनी दुआओं का समावेश है,
इसमें बहनों के आशीर्वाद का ।।
रक्षाबंधन सा पावन बंधन,
सदियों से है पुज्यनीय ।
जाने कितने पौराणिक कथाओं का,
इतिहास में मिलता है वर्णन ।।
परंतु आज के युग का सत्य यही है,
अपना वजूद खो चला यह रक्षासूत्र ।
बहनों के ही भाई हैं होतें,
जो खींचते हैं बहनों के ही वस्त्र ।।
मानवता हो रही शर्मसार है ,
लाज बचाने को कोई नही तैयार है।
घृणित मानसिकता के दम पर ही ,
तो फैला हर तरफ व्यभिचार है ।।
पुत्री होने पर कभी मातम न मनता,
गर यहाँ कोई पुरूषार्थ न खोता ।
रक्षासूत्र की पवित्रता पर ,
यूं प्रश्न चिन्ह कदापि खड़ा न होता ।।
सगे खून के रिश्ते का ही नही ,
रक्षाबंधन का यह पर्व है होता ।
अपितु प्रत्येक स्त्री-पुरूष का है यह बंधन,
जो इसकी मर्यादा है समझता ।।
*मेरठ(उत्तर प्रदेश)
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