✍️टीकम चन्दर ढोडरिया
बिखरे कुछ पन्नों को सीलें
आओं कुछ जीवन को जीलें
सुख बदलेगा करवट फिर से
आओं कुछ पीड़ा को पीलें
घर-घर मूरख ज्ञान बघारे
आओं अपनें मुख को सीलें
कब सोचा था होगा ऐसा
आओं अब ऐसे भी जीलें
सबनें छीनें घट अमरित के
आओं हम ही विष को पीलें
*छबड़ा जिला,बारां,राजस्थान
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