✍️भावना ठाकर
नज़रें हर मोड़ पर तुम्हें ही ढूँढती है,
मिट्टी में तेरे जिस्म की महक ढूँढती है।
यूँ खोया तू गोया की मिलता ही नहीं,
खुद को दोनों के दरमियां ढूँढती है।
सोचा ना था की तुमसे फ़ुरकत मिलेगी,
हर शै में क्यूं अपनी दास्ताँ ढूँढती है।
क्या खुश है बता तू मुझसे बिछड़कर,
पागल सी आँखें तेरा साया ढूँढती है।
महसूस तू होता है हर एक धड़क पर,
किये थे जो तुमने वो वादे ढूँढती है।
कहाँ हुई भूल इश्क की मैं ना जानूँ,
रह-रहकर सोच अपनी ख़ता ढूँढती है।
मिट्टी के तन में दिल पत्थर का क्यूँ है,
ये मोहब्बत क्यूँ उसमें वफ़ा ढूँढती है।
*बेंगलोर
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