✍️लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
मेरे सपनों का भारत सुंदर और सलोना हो,
उत्तर से दक्षिण तक महकता हर कोना हो।
सभी के आँगन में उन्नति की सुनाई दे गूँज,
देश में न कोई निर्धन, न किसी का रोना हो।।
जातीयता मज़हब का न अनर्गल प्रलाप हो,
हर बच्चे को श्रेष्ठ शिक्षा पाने का हिसाब हो।
बेटा बेटी में न कहीं कोई भी न ही विभेद करे,
विषता कटुता का दिलों में न बहता श्राप हो।।
पढ़े लिखे नवयुवकों को कहीं रोज़गार मिले,
प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर सदा मुस्कान खिले।
किसी के अस्मिता स्वाभिमान पे न आए आँच,
ऊँच नीच, अगड़े पिछड़े के न हो शिकवे गिले।।
बहन बेटियों के लिए सबके मन में सम्मान हो,
पुरुष प्रधानता के विचारों का न कहीं मान हो।
पीड़ितों मुजलिमों को सर्व सुलभ न्याय मिले,
बहु बेटियों को जो भी छेड़े, सरे कत्लेआम हो।।
प्रतिभाओं का हर जगह मिले ख़ूब ही मान हो,
भ्रष्टाचार का मेरे देश से मिटता नामोनिशान हो।
अमीरी ग़रीबी को सम करने की सही नीति बने,
देश के प्रति सब दिलों में जगता स्वाभिमान हो।।
शोषण के खिलाफ़ मुखरित सब की आवाज़ हो,
नई क्रांति नव निर्माण का हर जगह आगाज़ हो।
हमारे देश में शासन सत्ता हो जनता के हाथ में,
प्रगति का मेरे देश में बजता संगीत का साज हो।।
*बस्ती [उत्तर प्रदेश]
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