Subscribe Us

बाेझ नही बेटी हूँ मै








✍️आकांक्षा राय

बाेझ नही बेटी हूँ मै

हीरा नही ताे माेती हूँ मै

बाेझ नही बेटी हूँ मै 

है,मेरे भी कुछ  सपने 

कुछ अरमान 

हॉं मै भी बनना चाहती हूँ

एक पहचान 

पर क्यों

ये समाज हमे

पूर्ण रुप से अपनाता नही??

ये बात मुझे समझ में आता नही 

हम आज इस सदी मे खड़े है??

फिर क्याे उन प्रथाओ से  आज भी बधें है|

क्या हमे हक नही 

कि, हम जिए खुल के 

जिंदगी के फैसले ले मिल जुल के 

बाेझ नही बेटी हूँ मै 

हीरा नही ताे माेती हूँ मै 

कन्या हूँ,मै दान नही 

बेटी हूँ, मै अपमान नही 

बाबा का सम्मान हूँ मै.

 

*सुहवल,गाजीपुर

 


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 






 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ