*निशा अमन झा
शहीदों का कोई मजहब नहीं होता !
वीर हैं, जो वीरों की तरह लड.चला ,
और आज वीरों की तरह
सीना चौड़ा कर चला !
सियासी सियासत करतें रहे !
वह नाम अमर कर चला,
शोकपूर्ण ये वतनदारी नहीं !
जश्ने वतन कर चला ,
कतार में खड़े ओर भी हैं !
पर नाम पहला वो कर चला ,
नहीं चाहता शोक सभा !
बस बेखौफ रहें भारत मेरा ,
बेख़बर हर जर्रा - जर्रा रहे !
हर इंसान रहें बेपरवाह !!
*जयपुर राजस्थान
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