Subscribe Us

तुम देखना



*ज्ञानवती सक्सैना
ये नाजुक दौर है पर गुज़र ही जाएगा
देखना वक्त की मार वक्त सह ही जाएगा

मैं बुरे वक्त का शिकंजा तोड़ उड़ जाऊंगा
मैं फिर से क्षितिज पार परवाज़ भरूंगा
मैं फिर से नित हवाओं से बात करूंगा
मैं फिर से  खुद पर बेइन्तहा नाज़ करूंगा
मैं फिर से अपना जहां आबाद करूंगा

ये वक्त है करवट बदल ही जाएगा
ये नाजुक दौर है पर गुज़र ही जाएगा

मैं फिर से नए युग का आगाज़ करूंगा
मैं फिर से वक्त को अपने हक में करूंगा
मैं फिर से इसीआसमान में छेद करूूंगा
मैं फिर से नित नए नए इतिहास रचूंगा

जल्द तूफां का तेवर ढल ही जाएगा
ये नाज़ुक दौर है पर गुज़र ही जाएगा

मैं फिर से चांद तारों से बात करूंगा
मैं फिर से मीठे सपनों में रंग भरूंगा
मैं फिर से हैरतअंगेज कमाल करूंगा
मैं फिर से जल्द ही जीत का ऐलान करूंगा

हौसलों से हमें मुकाम मिल ही जाएगा
ये नाजुक दौर है पर गुज़र ही जाएगा

जग विकट विपदा से घिरा है पर संभल जाएगा
देखना दिया साथ सब ने तो नज़ारा बदल जाएगा
*सांगानेर जयपुर


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ