*प्रेम बजाज
प्यार का सागर दिल में
रखता पिता,
बच्चों की हर खुशी का
ख़्याल रखता पिता ।
बिन बोले हर बात बच्चों की
समझ जाता पिता ,
बच्चों की हर तकलीफ़ से
हिल जाता पिता ।
कभी बच्चों की आंखों में
आंसु ना आने देता पिता,
खुद चाहे दिल ही दिल में
रोता पिता ।
सो जाते जब चैन से
बच्चे रातों में
उठ-उठ कर उनके सिरों पर
हाथ फिराया पिता ।
बच्चों की हर ख़्वाहिश को
पूरा करने की
जद्दोजहद में रहता पिता ।
सब की इच्छाओं
और खुशियों का
ख़्याल रखता पिता ।
पढ़ -लिख कर बच्चे
आसमान की बुलंदियों को छू ले ,
इसलिए बड़े स्कूल में
दाखिला दिलाने को
ओवर-टाईम या डबल-शिफ़्ट भी
करता पिता ।
अपने जुतों के तले घिस गए
मगर बेटे के जुतों की
सिलाई तक भी ना
उधड़ने देता पिता ।
बेटी की शादी ,
बेटे को मकान ,
बहु को खुशी ,
दामाद को मान देता पिता ।
बेटी की बिदाई पर
छुप-छुप कर रोता पिता ,
ख़्याल रखना मेरी बेटी का
हाथ जोड़ कर कहता पिता ।
आप का कुछ नहीं हो सकता ,
आप को कुछ पता भी है ,
ये सुनकर भी चुप रह जाता पिता ।
हर संकट में पतवार बन खड़ा ,
ज़िन्दगी की धूप में घना साया ,
धरती पर ईश्वर का रूप पिता ।
*जगाधरी ( यमुनानगर )
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