शोभरानी तिवारी
मां धरती पिता आकाश है,
टिमटिमाते तारों का ,अटूट विश्वास है ,
पिता रब की ,सच्ची अरदास है,
जीवन में पिता की जगह खास है।
टूटे हुए मनोबल का सहारा है,
मार्गदर्शक बन राह दिखाता है,
मां वर्तमान तो पिता,
भविष्य की चिंता करता है।
पतझड़ में मधुमास है ,
उदास होठों की मुस्कान है ,
जिस घर में पिता नहीं,
वह घर रेगिस्तान है।
पिता है तो जीवन रंगीन है ,
वर्ना उदासी के साए हैं ,
रिश्ते नाते सब पिता से ,
वर्ना अपने भी पराए हैं ।
पिता नाव की पतवार है ,
पिता से ही सपने साकार है ,
पिता परिवार का पालनहार है
पिता से ही रिश्ते में व्यवहार है।
पिता से ही बच्चों की पहचान है,
मंगलसूत्र की शान है ,
हिमालय बन परिवार की रक्षा करता है ,
मां प्यार पिता संस्कार है ,
पिता से ही है इठलाता बचपन है,
रंगीन जवानी है,
वर्ना नींद नही आंखों में,
उदासी की कहानी है।
माता पिता स्नेह का बंधन है,
चरणों में चारो धाम है,
संसार के हर पिता को,
बारंबार प्रणाम है ।
*इंदौर मध्य प्रदेश
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