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किस ख़्याल, कौन जाने मैं किस ख़ुमार में हूँ



 

*आयुष गुप्ता

 

किस ख़्याल, कौन जाने मैं किस ख़ुमार में हूँ,

आकर चला गया वो, मैं इंतज़ार में हूँ।

 

ना तुम निभा सके तो मेरा कुसूर क्या हैं,

मैं तो अभी तलक अपने कि'रदार में हूँ।

 

वो शख़्स ना कभी आएगा मुझे पता हैं,

फिर भी पता नहीं क्यों मैं इंतज़ार में हूँ।

 

मेरा रहा न हक़ कोई अब मिरे सनम पर,

मैं तो अभी तलक उसके इख़्तियार में हूँ।

 

चाहे निभा मुहब्बत चाहे सिला न दे तू,

मैं तो सनम तिरे ही बस एतबार में हूँ।

 

*उज्जैन (म प्र)

 


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