*राजीव डोगरा 'विमल'
जीवन का हर पक्ष
रुका सा हुआ है
देखकर अच्छा लगता है।
एक तनहाई सी
छाई हुई है चारों ओर
देखकर अच्छा लगता है।
रुकी हुई सड़कें
रुके हुए जज्बातों की तरह लगती है
देखकर अच्छा लगता है।
कानों को चीरती
रुकी हुई वाहनों की गनगणाहट
देखकर अच्छा लगता है।
मरती हुई इंसानियत में
आती नवीन चेतना को
देखकर अच्छा लगता है।
*कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
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