*आयुष गुप्ता
ना जाने ये खुशी की है या ग़म की बात है,
कल शायद मेरी उनसे आखिरी मुलाक़ात है।
वो भी क्या पल होंगे, झट से गुज़र जाएँगे,
और एक ये गुज़रती ही नहीं, अजीब रात है।
चंद लम्हें मिलेंगे मुझे ये कारनामा करने को,
जुबां तक लाना होंगे जितने भी जज़्बात है।
कुछ ही देर में कैसे सब कुछ मुमकिन होगा,
कितनी बातें, यादें, जवाब और सवालात है।
किसी मुंजमित शख़्स को यूँ पिघलाने वाली,
मेरी आँखों में ये कैसे शोलों की बरसात है?
जो मेरा नहीं है, नहीं ही होगा तो क्या होगा,
लेकिन मुझे तुमसेे प्यार हैं इतनी सी बात हैं।
जो अब तक मिलने को बेताब था वो दिल,
डरता है कल शायद आख़िरी मुलाक़ात है।
*आयुष गुप्ता, उज्जैन (म.प्र.)
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.comयूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ