कहते हैं ना , दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोई lजो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होय ।। जब मानव पर विपदा पड़ी तो उसे भगवान याद आए उसे अच्छे कर्म याद आए उसे याद आया कि उसने पिछली बार किसके साथ अच्छा या बुरा किया था वह भगवान के सामने बैठ कर कहने लगा भगवान इस बार बचा लो आगे से ध्यान रखूंगा।आमतौर पर मानव कभी-कभी भविष्य की चिंता कर लेता है तो कभी अतीत को याद कर लेता है लेकिन मुख्य रूप से वह वर्तमान में ही जीता है उदाहरणार्थ अगर व्यक्ति को कहा जाएगा कि यह चीज बनाना सीख लो या घर में बनाया करो तो वह कहेगा अरे सब मिल जाता है बना बनाया मार्केट में लेकिन जब लॉक डाउन हुआ तब समझ में आया कि घर में इस तरह का मैनेजमेंट करना चाहिए कि कुछ दिन घर में भी बंद रहना पड़े ना कोई बाहर से आए ना कोई सामान आए तो भी जीवन चल सके। व्यक्ति चाहे महिला हो या पुरुष उसके हाथ में इतना हुनर होना चाहिए कि वह भूखा ना मारे घर में ही उपलब्ध साधनों से वह स्वादिष्ट भोजन बना सके, घर की साफ सफाई कर सके और रोजमर्रा के काम कर सके।ऐसे ही व्यक्ति मकान ,गाड़ी ,बंगले ,सोना चांदी खरीदने में लगा रहता है, सत्कर्मों,सामाजिक संबंधों, जीवन मूल्यों को उतना महत्व नहीं देता है। लेकिन लॉक डाउन में करोड़ों के महलों पर ताले पड़ गए लाखों की गाड़ियां धूल खाने लगी और सोना चांदी किसी काम के नहीं रहे काम आए तो केवल आपसी संबंध इनकी वजह से आप घरों में बंद रहकर भी दूसरों से जुड़े रहे ।लॉक डाउन से यह भी सीखने को मिला कि जीवन में बचत को अधिक महत्व देना चाहिए लोग दिखावे के लिए पैसा बर्बाद करना मूर्खता है। इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण बात कि यदि आपके पास फोन है तो फोन बुक में सारे अर्जेंट नंबर जिसमें डॉक्टर्स, गैस रिपेयरिंग वाला , इलेक्ट्रिशन, सब्जी वाला ,मेडिकल स्टोर ,किराना स्टोर तथा अन्य जरूरत के नंबर अवश्य ही होना चाहिए l लॉक डाउन में यह नंबर बड़े ही काम आए l
*सुषमा दुबे, इंदौर
इस विशेष कॉलम पर और विचार पढ़ने के लिए देखे- लॉकडाउन से सीख
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