*रामगोपाल राही
यादों का अनमोल खजाना ,
सचमुच होता संग्रहालय |
पूर्वजों की संस्कृति का ,
हाल बताता संग्रहालय ||
विकसित होती सोच देख कर ,
बोध बढ़ाता संग्रहालय |
होता है संस्थान अनूठा ,
सचमुच समझो संग्रहालय ||
संग्रहालय में रखी वस्तुएँ -
देखें अचरज होता है |
मिले प्रेरणा आत्मबोध हो ,
मन चेतन्य होता है ||
मानव सभ्यता की वस्तुएँ
कई अनोखी मिलती है |
चकित करती कई वस्तुएँ
देखें अच्छी लगती है ||
भूतकाल व वर्तमान की
बात बताता संग्रहालय |
वस्तु संग्रह अद्भुत सचमुच ,
ज्ञान बढ़ाता संग्रहालय ||
याद दिलाती कई वस्तुएँ ,
मानव सभ्यता की वहाँ |
ऐतिहासिक कई धरोहर ,
बतलाती इतिहास वहाँ||
शिलालेख ,कई मूर्तियाँ व ,
कई वस्तु अवशेष वहाँ |
सिक्के मिलते कई पुराने ,
खंडित बर्तन मिले वहाँ ||
पुराने -हथियार -संग्रहित ,
बंदूकें -तलवार वहाँ |
छुरी ,ढाल शमशीर व बल्लम ,
भाले देखो तोप वहाँ ||
कई वस्त्र पुराने दिखते ,
रंग रंगीले छपे हुए |
पहना करते नृप ,बादशाह ,
वस्त्र अनोखे टके हुए ||
पशु पक्षी आकृति चित्र भी ,
मिलते -संग्रहालय में |
चित्रकारी ,-प्राचीन अनूठी ,
संग्रहित -संग्रहालय में ||
जन जन होता लाभान्वित ,
देख देख के संग्रहालय |
विरासतों के संरक्षण का ,
केंद्र अदभुत संग्रहालय ||
शिक्षा अध्ययन में उपयोगी ,
सचमुच समझो संग्रहालय |
मनोरंजन भी हो जाता है ,
देख देख के संग्रहालय ||
*रामगोपाल राही लाखेरी,जिला बूँदी (राज)
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