*हमीद कानपुरी
व्यवहार पुराना मनमाना छोड़ो भी।
शोले अंगारे बरसाना छोड़ो भी।
मिलने जुलने पर पाबंदी आयद है,
बाहर तुमअब आना जाना छोड़ो भी।
चारागर की बात ज़रा सी सुनलो अब,
चाट पकौड़ी ज़्यादा खाना छोड़ो भी।
लेकर आयी है दुनिया संगीत नया,
कल का वो ही राग पुराना छोड़ो भी।
धूप कड़ी है और सफर लम्बा तेरा,
फूलों के जैसा मुरझाना छोड़ो भी।
*हमीद कानपुरी
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/ रचनाएँ/ समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
0 टिप्पणियाँ