*डॉ. रेनू श्रीवास्तव
आज रेखा सुबह से बहुत परेशान है। वह कई बार अपने मोबाइल को देख चुकी है, व्हाट्सएप को देख चुकी हैं ,शायद कोई मैसेज हो। लेकिन अफसोस ना कोई कॉल था ना ही कोई मैसेज था ।आज पूरे 5 दिन हो चुके हैं राजेश का ना तो कोई कॉल आया था और ना ही कोई मैसेज। उसके समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें।
राजेश शुरू से ऐसा नही था। उसे अच्छे से याद है राजेश से हुई उसकी मुलाकात । वो ऑफिस के काम से दिल्ली गयी थी, वहीं उसकी मुलाकात राजेश हुई थी। राजेश उसकी ही कंपनी में काम करता था। पर उसकी पोस्टिंग जयपुर थी और रेखा जोधपुर पोस्टेड थी। राजेश ने उसे अपने बारे में बहुत कुछ बताया था, उसे वो बहुत अच्छा लगा था,उसे सबसे अच्छा लगा था राजेश का केयरिंग नेचर।वह आज भी नहीं भूली है कि जब उसका सिर दर्द हुआ था तो वो किस तरह से उसके लिए दवा लेकर आया था। कैसे भूल सकती है वो उसका इतने प्यार से दवा पिलाना ,रेखा के साथ समय बिताना । गाड़ी से भी जब दोनों अपने गंतव्य स्थान के लिए जा रहे थे तो कुछ दूर तक दोनों का सफर साथ था ।उस दौरान राजेश ने कितने प्यार से उसका हाथ थामा था, तब रेखा ने कहा भी था "ड्राइवर देख रहा है" तब राजेश ने सब कुछ भुला कर कहा "देखने दो "और वैसे ही उसका हाथ थाम कर उससे बातें करता रहा ।कुछ दुर का वो सफर रेखा के लिए यादगार बन गया था ।इन यादों को लेकर दोनों फिर से मिलने के वादे के साथ अपनी अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ गए थे । दोनों की काफी देर तक व्हाट्सएप पर बात होती थी ।रेखा जब भी राजेश को मैसेज करती तो वो तुरन्त ब्लू हो जाता और ऐसा लगता मानो राजेश उसके ही मैसेज की राह देख रहा था । दोनों बहुत खुश थे अपनी दुनिया में । रेखा को तो जैसे जीने की नई राह मिल गई थी।
तभी एक दिन रेखा के पास राजेश का फोन आता है कि वह दिल्ली जा रहा है तुम भी आ जाओ ।रेखा को तो जैसे मन की मुराद मिल चुकी थी । वो दिल्ली जाने की तैयारी में लग गई ।तभी रेखा के पास राजेश का मैसेज आता है कि वह चाहता है उन दोनों के साथ उसकी साथी सीमा भी साथ चलेगी। ये बात रेखा को कुछ अजीब सी लगी कि उन दोनों के बीच तीसरा क्यों?पर वो राजेश से कुछ नहीं बोली। पर दिल्ली राजेश अकेला ही आया। रेखा ने पूछा "सीमा नहीं आई"। उसने बड़े ही सहज रूप से जवाब दिया "नहीं" ।
दो दिन बाद दोनों अपने-अपने शहर वापस आ गए। दोनो की सोशल मीडिया पर काफी बातें होती । रेखा का ऑफिस के काम से जयपुर जाना हुआ। वो ट्रैन से उतर कर सीधे सामान लेकर राजेश के ऑफिस चली गयी।उसे आज भी याद है कि किस तरह से राजेश अपनी चौथी मंजिल के ऑफिस से उसका सामान खुद उठाकर उसे होटल के लिये ऑटो में बिठाकर गया था ।उस समय उसने राजेश से कहा भी था कि "राजेश अच्छा नहीं लगता , मैं खुद समान उठाती हूं, लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे।" तब हंसकर राजेश ने कहा " कोई कुछ नहीं कहेगा।"और एक प्यार भरी दृष्टि से रेखा को देखा। फिर कुछ बातें ऑफिस के लोगों ने राजेश के बारे में रेखा को बताई । राजेश ने उसे साफ नकार दिया । फिर एक दिन एक महिला सहकर्मी ने राजेश द्वारा व्हाट्सएप पर भेजे गए मैसेज रेखा को दिखाएं। रेखा ने इस बारे में राजेश से बात की तो राजेश ने माना कि वह गलत था उसे यह मैसेज नहीं भेजने चाहिए थे। पर धीरे-धीरे राजेश का व्यवहार रेखा के प्रति बदलने लगा। रेखा को याद है कि उसका दोबारा जयपुर के ऑफिस में जाना हुआ था ।वह तब राजेश से भी मिलने गई थी । राजेश से बात कर रही थी , तभी राजेश के मोबाइल पर एक फोन आता है ।राजेश उस फोन को काट देता है। रेखा ने देख लिया था कि वो फोन किसी महिला का था। कुछ देर बाद राजेश एक फोन करके आने के लिए कह कर रूम से बाहर चला जाता है। जब 5 मिनट हो जाते हैं, तो रेखा स्यवं बाहर जाती है तो वो राजेश की बात सुन लेती है वो फोन पर कह रहा था कि" तुम समझने की कोशिश करो, अभी बात नहीं कर सकता , तुम समझती क्यों नहीं हो" यह सुनकर रेखा के अंदर कुछ टूट सा गया था। वो चुपचाप अंदर आकर बैठी जाती है।
उसने इस बात का ज़िक्र आज तक राजेश से नहीं किया ।उस दिन और उसके बाद राजेश कभी भी उसे नीचे तक छोड़ने नहीं आया । तब रेखा ने इस बात का उलाहना दिया तो राजेश ने बड़े ही सहज भाव से कहा कि" लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे"। रेखा ने सोचा कि उस दिन लोग नहीं देख रहे थे जब तुम मेरा सामान उठाकर मुझे नीचे छोड़ने आए थे।"खैर बात आई गई हो गई थी। पर रिश्ते में बहुत कुछ बदल गया था।जब कभी भी रेखा राजेश से शिकायत करती कि "तुम बदल गए हो, ना पहले की तरह मैसेज करते हो, नहीं सोशल मीडिया पर मुझे फॉलो करते हो जबकि बाकी सब महिलाओं को तो करते हो"। रेखा ने कुछ महिलाओं को लेकर भी बात की तो राजेश ने उसे पागल , साइको करार कर दिया और उसे समझाया भी और कहा भी कि "क्यों तुम इनसिक्योर फील करती हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा"। रेखा मानती है कि राजेश ने बहुत समझाया पर परिस्थितियों को बदलने की कोशिश नहीं की । हमेशा कहा " मैं हमेशा ऐसे ही तुम्हारे साथ हूं" ।पर जब रेखा ने मिलने के लिए कहा तो हमेशा कहा कि "जब अवसर मिलेगा तब मिलेंगे "।
एक दिन रेखा ने राजेश से पूछा कि अवसर अगर 2 साल तक नहीं मिलेगा तो नहीं मिलोगे तो बहुत ही सरल रूप में राजेश का जवाब था "हां"। रेखा सोचने लगी कि कैसा प्यार है कहा तो यह जाता है कि अगर पेड़ लगाकर उनकी देखभाल नहीं की जाए तो वो भी सूख जाते हैं फिर ये तो रिश्ते की बात थी । धीरे धीरे बहुत कुछ बदलता गया। जब भी रेखा अपने लिये किसी से सिफारिश करने के लिए कहती राजेश साफ मना कर देता कहता कि "मैं तुम्हारे लिए किसी से बात नहीं करूंगा, लोग क्या कहेंगे , वो व्यक्ति क्या सोचेगा" । जबकि ऐसा नहीं था कि राजेश अन्य महिलाओं की सिफारिश नहीं करता था, वो अन्य महिलाओं की नोकरी तक कि बात करता था।रेखा ने कई बार राजेश से कहा " पहले तुम मुझे सोशल मीडिया पर फॉलो करते थे । अब ऐसा क्या हो गया है , जो तुम मुझे फॉलो नही करते हो जबकि तुम और महिलाओं को सोशल मीडिया पर फॉलो करते हो उनकी पोस्ट को लाइक करते हो ,कमेंट को लाइक करते हो "।राजेश ने रेखा को समझाया तुम्हारा वास्ता मुझसे है या सोशल मीडिया से। तुम पागल हो, अपना इलाज करवाओ।" पर परिस्थितियों में कुछ नहीं बदला। रेखा को अच्छे से याद है राजेश के ऑफिस में उसे कुछ काम था उसने राजेश से कहा राजेश ने उसे रास्ता बता दिया कि कहां जाना है, पर वह खुद साथ नहीं गया। जब रेखा काम करके उसके कैबिन में गई और बताया कि काम हो गया है। तभी एक महिला का आगमन होता है, वो राजेश से किसी काम के लिए कहती है राजेश अपने सारे काम छोड़ कर उस महिला के काम के लिए उसके साथ चला जाता है, वो भूल जाता है कि रेखा केबिन में बैठी और कुछ समय पहले उसने रेखा के साथ जाने से मना किया था ये कहकर कि " उसको बहुत काम है"। रेखा के अंदर कुछ दरक जाता है । उसने इस बारे में राजेश से आज तक कुछ नही कहा। उसे मालूम है अगर वो कहेगी तो राजेश उसे ही पागल कहेगा। पर परिस्थितियां नही बदली। दोनों में दूरियां बढ़ती गयी ।
अभी पांच दिन पहले की ही तो बात थी जब राजेश की एक महिला मित्र को लेकर रेखा की बात हुई थी और राजेश को बुरा लगा कि रेखा ने उस महिला मित्र के बारे में बात क्यों की।इसीलिए राजेश रेखा से बात नहीं कर रहा था ।वह सोच रही थी कि राजेश की कही गई बात के बारे में हर बार राजेश ने रेखा से कहा था कि "तुम अगर अपने व्यवहार को नहीं बदलोगी तो एक अच्छा दोस्त और एक अच्छे रिश्ते खो दोगी"। आज रेखा वो ही सोच कर परेशान है कि क्या सच में सब कुछ खत्म हो गया पर रेखा का मन चीख चीख कर कह रहा है कि" मैं पागल नहीं हूं, साइको नहीं हूं, नकारात्मकता मैं नहीं जीना चाहती हूं"। राजेश तुम एक बार परिस्थितियों को तो बदल कर देखो ,पहले की तरह बनकर तो देखो ।राजेश तुमने मुझे पागल तो कह दिया पर एक बार सोच कर तो देखो मैंने जो भी तुमसे कहा वो क्यों कहा, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं मैं पागल नहीं हूं, नहीं बर्दाश्त होती है तुम्हारी ये बेरुखी, मैं तुम्हारे साथ जीना चाहती हूं...." पर अफसोस यह सब ज़ज़्बात दफन हो गए रेखा के सीने में उसकी मौत के साथ ही ...वो बर्दाश्त नहीं कर पाई राजेश की बेरुखी और इस दुनिया को उसने अलविदा कह दिया पर उसकी रूह कह रही थी कि मैं पागल नही हूं .... सोच कर देखो राजेश क्यों मेरा व्यवहार ऐसा हुआ ....मैं पागल नही हूँ।
*डॉ. रेनू श्रीवास्तव, कोटा( राज.)
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/ रचनाएँ/ समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
0 टिप्पणियाँ